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आओ स्वप्न देख लेते हैं,
२०१६ नये साल में कदम रख लेते हैं,
नए साल के स्वागत में अगर कदम डगमगाने लगे,
शराबी न समझ लेना,
ऐसे में हम मजबूत खम्बा पकड़ लेते हैं !
हम बड़े दिल वाले हैं, मोहबत की मोमबती
जलाते हैं,
शान्ति के दूत हैं, दुश्मन से भी हाथ मिला लेते हैं !
और जब हम बच्चों के साथ बच्चा बन कर,
चूहे का रूप, बिल्ली को धमका रहे थे,
२६ जनवरी के लिए रत्न, चक्र, मैडल चमका रहे थे,
पाकिस्तान के साथ शांती वार्ता के लिए नया माहोल बना रहे थे !
दो जनवरी को पठानकोट एयर बेस में पाक के आतंकी
जवानों के साथ दुश्मनी निभा रहे थे !
ये क्या हो गया ? कुछ दिन पहले हमारे पीएम
पाकिस्तान गए थे,
नवाज शरीफ ने दोस्ती का हाथ बढ़ाकर,
मधुर शब्दों में ये शब्द कहे थे,
“अब हिन्दुस्तान-पाकिस्तान दुश्मनी छोड़ दोस्त बनेंगे,
भविष्य में आपस में कभी नहीं लड़ेंगे !
हम खुश होगये, स्वप्नों की दुनिया में खो गए,
लेकिन देखने में क्या जाता है,
आओ स्वप्न देख लेते हैं,
२०१६ नए साल में कदम रख लेते हैं !
हम नहीं पहिचान पाते हैं कौन दोस्त कौन दुश्मन है,
इसी लिए बार बार धोखा खा जाते हैं,
पर मैदाने जंग में पाकिस्तान को धूल चटाते हैं,
दुष्ट दुश्मन यूएनओ में जाकर आंसू गिराता है
‘हिन्दुस्तान से हमें बचाओ,’ गिड़गिड़ाता है !
हमारे देश के ही छद्म भेदी नेता लोग
धर्मनिरपेक्ष का मुखोटा पहिनकर,
खादी भण्डार की जैकेट के जेब पर,
ताज़ा खिला फूल लगाकर,
शांती का बिगुल बजाते हैं,
अपने वोट बैंक में रोज १०-१५ वोटों का इजाफा करवाते हैं !
पर जनता पूछ रही है हुकमरानों से,
बताइए, पाकिस्तानी आतंकी संसद का गेट कैसे पार कर गए,
पठानकोट एयर वेश की सुरक्षा कर्मी कैसे सो गए,
सवाल ये नहीं है की आतंकी कैसे मारे गए,
सवाल है सुरक्षा पैबंद पर वे कैसे छेद कर गए !
फिर भी हम ख़्वाब देख रहे हैं विश्व गुरु बनने का,
भारत को सोने की चिड़िया बनाकर चन्द्र मंगल तक उड़ने का !!
ख़्वाबों में रंग भरकर,
रंगीनियों में सैर करने से क्या जाता है,
आओ स्वप्न देख लेते हैं,
२०१६ नए साल में कदम रख लेते हैं !! हरेन्द्र
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