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आजादी के बाद सबसे बड़ा धोखा हमें १९४७/४८ में पाकिस्तान ने दिया, हमारे शांती के दूत धर्मनिरपेक्ष नेताओं ने केस संयुक्त राष्ट्र संघ में दे दिया और पाकिस्तान को काश्मीर के अंदर ही पाक ऐक्युपाय काश्मीर मिल गया ! पाकिस्तान चाहे यहां कबड्डी खेलें, चाहे चीन से मिलकर सैनिक अड्डा बनाए, परमाणु परिक्षण करे या आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप खोल दें, कौन है रोकने वाला ! ५०_६० के दसक में चीन के प्रधान मंत्री और उसके मंत्रीमंडल के वरिष्ठ मंत्री बार बार हिन्दुस्तान आते थे, दोस्ती का हाथ बढ़ाते थे, हमारी सुरक्षा की दीवार कितनी मजबूत है, इसका जायजा लेते थे ! इधर हमारे प्रधान मंत्री और मंत्री मंडल उनके स्वागत में अपना दिल तक उन्हें दिखा देते थे ! ‘हमारा सब कुछ ओपन है, कुछ भी छिपाव में नहीं है ! हमारे सब दोस्त हैं तो हमें अपनी सुरक्षा की चिता क्यों होगी ! हमने अपनी सुरक्षा पंक्ति में भारी कमी करदी है ! हथियार गोला बारूद तथा सैना के लिए नए उपकरण नहीं खरीदे, न जवानों को ही ट्रेनिंग में दक्ष किया गया’ ! चीन ने इसी कमजोरी का फ़ायदा उठाया, भारत चीनी भाई भाई का नारा लगाते लगाते १९६२ में हिन्दुस्तान की फ़ौजी चौकियों पर आक्रमण कर दिया ! सीमा से लगी हर पोस्टों पर जहां केवल एक एक प्लाटून तैनात थी जवानों के पास पूरानी पैटर्न की .३०३ राइफलें थी और पुरानी ही लाईट, मीडियम गने मोर्टर्स थी ! गोला बारूद भी सीमित मात्रा में था ! स्थल सैना के ब्रिगेड और डिविजनल कमांडरों को निर्देश दिए गए की वे जल्दी से जल्दी देश की आन वान रक्षा हेतु तुरंत चाईनीज सीमा पर पहुंचे, उन्हें समुचित मात्रा में लड़ाई में काम आने वाले उपकरण, सर्दी से बचने की वर्दी, कम्बल आदि उपलब्ध कराए वगैर ! ऑक्टोबर का महीना, सरदी शुरू हो चुकी थी ! जवानों के पास ठण्ड से बचने के लिए ढंग के पहनने के लिए गर्म कपडे और कम्बल रजाइयां भी नही थी ! सीमित साधनों के होते हुए ही आखरी दम तक हमारे सैनिक लड़ते रहे और रण भूमि में दुश्मन की गोली खाकर स्वर्ग की राह पर जाते रहे ! कारण, बहुत बड़ी संख्या में चीनी ट्रेंड सैनिक, पूरी तैयारी के साथ नए ७.६२ राइफलें, गन, मोर्टरस, हैण्ड ग्रेनेड और माइंस के साथ और नए उपकरणों, भरपूर एम्युनीशन और सर्दी के बचाव का पूरा सामान लेकर मैदाने जंग में कूदे थे ! उनके आकाओं ने उन्हें भारतीय सैनिकों के बारे में, उनकी ट्रेनिंग योग्यता, संख्या और हथियारों के बारे में बता दिया था, साथ ही की “भारतीय सैनिकों की संख्या हर पोस्ट पर ११, १२ या हद से ज्यादा ३२-३३ तक है ! इस लड़ाई में भारत का पूर्व का बहुत सारा इलाका चीन ने हथिया लिया था, हमारी सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में गुहार लगाई पर वहां तो चीन सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने की वजह से यूएनओ भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर पाया ! हमारे धर्मनिरपेक्ष अहिंसा के पुजारी नेता शांती के दीप जलाकर, शांती भवन में विश्राम करने चले जाते थे जब जनता इस शर्मनाक हार के लिए उन्हें सवाल पूछने के लिए उनके दरवार में आते थे !
पाकिस्तान हमेशा से भारत के क्लीन ग्रीन विकास पर जलता भूनता रहता था और पार्टीशन के बाद से ही बजाय अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के हिन्दुस्तान के विकास कार्यों में रुकावट डालने के लिए कोई न कोई षड्यंत्र रचता रहता था ! १९६२ की लड़ाई में भारत की बुरी तरह हार जाने का मतलब
पाकिस्तान हुक्मरानों ने समझा ‘भारत तो बड़ा कमजोर निकला,ताजा ताजा जख्म खाया हुआ है,एक जोर का झटका और दे दिया जाय’, इस विचार से उसने १९६५ में स्थानीय लोगों की भेष भूषा में जम्मू काश्मीर में भारतीय पोस्टों पर आक्रमण करना शुरू कर दिया ! सितम्बर १९६५ में तो पाकिस्तान ने भारत के एयर बेसों पर हवाई हमला करके खुले आम लड़ाई का बिगुल बजा दिया ! हमारे सैनिक इस बार नए हथियारों और नए उपकरणों से लैश थे ! अगर चीन ने १९६२ में हमारी कमजोरी का अहसास हमें नहीं कराया होता तो १९६५ की लड़ाई में भी हमें मुंह की खानी पड़ती ! इस बार हमारे पास ७.६२ एसएलआर राइफलें, गने, आरसीएल गने, टैंक, नए डिजायन के फाईटर मौजूद थे ! हमने इस युद्ध में बेशकीमती हीरे मोती तो गंवाए लेकिन पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाकर ! मजे की बात की पाकिस्तान को अमेरिका से लड़ाई का साजो सामान, टैंक, फाईटर, वर्दी,और नए उपकरण खैरात में मिले थे और भारत ने अपने हथियार, और उपकरण अपने देश में बनाए थे कुछ बड़े हथियार, टैंक और फाईटर रूस से खरीदे थे, ! पाकिस्तान ने खैरात में मिले बहुत सारे टैंक और फाईटर इस युद्ध की भेंट चढ़ा दिए थे ! जब हारने लगा और भारतीय सैना लाहोर के गेट को बजाने लगी तो भाग कर यूएनओ में जाकर फ़रियाद करने लगा, “भारत ने हमें कहीं का नहीं छोड़ा, काश्मीर तो लिया, लिया अब लाहोर को भी हथियाने की तैयारी कर रहे हैं, कृपया हिन्दुस्तान से हमें बचाओ “! यूएनओ का प्रेसर फिर भारत पर पड़ा, सीज फाईर हुआ, ताशकंद समझौते में सारा पाकिस्तान से जीता हुआ इलाका उसे वापस दे दिया, जब की हम पाक द्वारा हथियाया हुआ काश्मीर इलाका वापिस ले सकते थे, लेकिन क्यों की हम बड़े थे, “क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात”, हमारे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी पिघल गए और रूस ने भी पाकिस्तान पर दया भाव दिखाने का आग्रह किया ! यद्यपि इस समझौते पर हस्ताक्षर होते ही शास्त्री जी को हार्ट अटैक पड़ा और वे वहीं ताशकंद में स्वर्ग सिधार गए !
लेकिन पाकिस्तान अपनी शैतानियत से बाज नहीं आया, 0३ दिसम्बर १९७१ में फिर उसने भारत पर अटैक कर दिया ! अबके भारत ने उसको अच्छा पाठ पढ़ाया और उससे उसका एक बहुत बड़ा हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान छीनकर बंगलादेश बनाकर बंगलादेशियों को दे दिया ! इस युद्ध में भी वह अपने आका अमेरिका से साज सामान के अलावा सैनिक सहायता भी मांगने लगा ! अमेरिका ने अपना युद्ध पोत रवाना भी कर दिया था लेकिन इधर रूस ने भी अपना युद्ध पोत आगे बढ़ा दिया, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान युद्ध कहीं विश्व युद्ध में तबदील न हो जाय, अमेरिका का युद्ध पोत वापस चला गया ! हिन्दुस्तानी सैना ने इष्ट्रन आर्मी कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोरा की कमांड में पाकिस्तानियों की सैना के ९५,००० अफसर, जेसीओज और जवानों को बंदी बना दिया था ! उनका आर्मी कमांडर ले. जनरल नियाजी था ! यहां भी पाकिस्तानी हुक्मरान भागे भागे यूएनओ में जाकर गिडग़ड़ाए, सर झुका हाथ बांधकर प्राणों की भीख माँगी, सीज फायर करवाया, शिमला समझौता हुआ, भुट्टों ने अनुनय विनय करके अपने ९५००० सैनिकों को मुक्त करवा दिया, हमारे जीते हुए इलाके भी उसे वापिस मिल गए, लेकिन कुत्ते की पूंछ को छ: महीने किसी पाईप में रख दो फिर भी रहेगी टेढ़ी की टेढ़ी ! इतनी मार खाने के बाद भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया ! हमारी सफ़ेद शर्ट देखकर उसे लगता है की भारत उसकी गंदी शर्ट को देखकर उसे चिढ़ा रहा है ! उसने भारत के विकास में रोड़ा अटकाने के लिए, देश की शांती भंग करने के लिए, अपनी सैना द्वारा आतंकी संगठन बनाया, जिसने समय समय पर भारत में आकर भीड़ भड़ाके वाले शहरों, कस्बों, रेलवे स्टेशनों, होटलों, फ़ौजी सस्थानों में बम धमाके करके दहशत गर्दी मचा दी ! हमारे नेता बार बार पाकिस्तानी सरकार को इस हरकत के बारे उसे जगाते रहे, इस तरह की दैशतगर्दी को बंद करने की अपील करते रहे, कही बार चेतावनी भी दी गयी, लेकिन पाकिस्तान पर कोई असर नहीं पड़ा ! यूएनओ में शिकायते भी दर्ज की गयी और अनुरोध भी किया गया की पाकिस्तान में पलने वाले आतंकियों को समाप्त करने के लिए पाकिस्तान पर दबाव डाला जय,, लेकिन किसी ने भी भारत की आवाज नहीं सुनी ! हमारे प्रधान मंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई जी ने तो दोनों देशों को जोड़ने के लिए समझौता एक्सप्रेश गाड़ी भी चला दी थी और स्वयं भी उसमें बैठकर पाकिस्तान गए थे ! उन दिनों भी पाकिस्तान के प्रधान मंत्री यही नवाज शरीफ ही थे ! इधर वे प्रधान मंत्री जी के साथ शांती वार्ता की पहल कर रहे थे, उधर उनके सैना प्रमुख परवेज मुशर्ऱफ पाकिस्तानी सैना और आतंवादियों को बटालिक सेक्टर, “टाइगर हिल” पोस्टों पर सैना के साजो सामान और हथियारों के साथ भेज रहा था, पोस्टों पर कब्जा करने लिए, ताकि आने वाले समय में पूरे काश्मीर को हस्तगत करने में आसानी हो जाय ! ये पोस्टें एशिया की सबसे ऊंची पोस्टें हैं जहां १२ महीने बर्फ पड़ती रहती है और टेम्प्रेचर हमेशा जीरो डिग्री के नीचे ही रहता है, यहां लोकलों के अलावा दूसरे सैनिक यहां की सर्दीली हवाओं के थपेड़ों से विभिन विमारियां से ग्रस्त हो जाते हैं, इसलिए कमांडरों के आदेश से हमारे जवान पोस्टें छोड़ कर नीचे बेस में आजाते थे और निगरानी के तौर पर फौजी दस्ते वहां भेजते रहते थे ! १९९९ जुलाई के महीने में भारतीय सैनिकों को दुश्मनों की मौजूदगी का अहसास हुआ, उनको इन पोस्टों से हटाने के लिए निर्णय लेने में दिल्ली में काफी वक्त लग गया और आखिर प्रधान मंत्री ने सैना को क्लीन चीट दे दी इन पोस्टों से दरिंदे आतंकवादी कम पाकिस्तानी सैनिकों को हटाने के लिए ! दुश्मन स्वचालित हतियारों और गोला बारूद के साथ ऊंची पहाड़ियों के ऊपर मजबूत मोर्चों में अड्डा जमाए हुए था जो तीन तरफ से कुदरती पर्वत श्रृंखलाओं के कारण दुश्मनों के लिए सुरक्षित था, भारतीय सैनिकों को वहां जाने के लिए इन कुदरती रुकावटों को पार करना मुश्किल ही नहीं असंभव भी था ! लेकिन भारतीय सैनिकों की यही तो विशेषता रही है की वे असंभव को भी संभव करके दिखा देते हैं ! अपनी जान जोखिम में डाल कर सैना बहुत सारे सैनिकों को खोकर बचे हुए सैनिक आखिर इन चोटियों में पहुँचने में सफल हुए और सारे घुस पैठियों को जहन्नुम पहुंचाकर यहीं उनकी कबर बना दी ! इस थोपी गयी लड़ाई में हमने ५४ अफसर, ४३६ जेसीओज जवान खोये, ६२९ जवान जख्मी हुए जिनमें बहुत से तो आजन्म के लिए अपंग होगए थे ! अब जब स्वयं अमेरिका जो अभी तक पाकिस्तान को आर्थिक मानसिक सहायता करता रहा है, ने खुद पाकिस्तान को भारत के साथ शांती वार्ता करने का आदेश दिया है , तब जाकर पाकिस्तान भारत के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने के लिए तैयार हुआ ! भारत की मांग थी की पहले पाकिस्तान अपने देश से आतंकवाद को पूरी तरह ख़त्म करे तभी शांति वार्ता आगे बढ़ सकती है ! उधर नवाज शरीफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे थे, हमारे प्रधान मंत्री पाकिस्तान जाकर माहोल को खुशनुमा बनाने की चेष्टा कर रहे थे, पर पीछे से पाकिस्तान से आतंकवादी पीठ पर छुरा घोपने से बाज नहीं आ रहे हैं ! पठानकोट बेस पर हमला इसका प्रमाण है !
२६ जनवरी गण तंत्र हम हर साल मनाते हैं,
हमारा देश सुरक्षित रहे जन गण मन गाते हैं,
स्वतंत्रता, गण तंत्र दिवस पर शहीद याद आते हैं,
क्यों उन्हें हम दूसरे मौकों पर भूल जाते हैं !
दुश्मन दिल तोड़ते रहे, हम जोड़ते रहे,
उनके टूटे दिलों पर भी मोहबत का लेप लगाते रहे,
हम फूल बाँटते रहे, हमें फूल मिलते रहे,
वे कांटे बाँटते, जिस्म अपना काँटों से चुभाते रहे !
हम प्रेम के गीत गाते रहे, वे नफ़रत फैलाते रहे,
हम हँसते हँसाते वे चिता से अपने को जलाते रहे !
बताइए कोई उनसे क्या कहे ??
शहीदों को समर्पित लेख, जय जवान, जय भारत ! हरेन्द्र
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