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छोटों को आशीष, बड़ों को प्रणाम,
हूँ सामने आपके हरेन्द्र रावत नाम,
हरेन्द्र रावत नाम, गणतन्त्र दिवस की बधाई,
इसी दिन अपना संविधान अपनी सरकार बनाई,
जन्ता द्वारा, जन्ता के लिए जन्ता की ही है सरकार,
गणतंत्र, प्रजातांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष संघात्मक खम्बे चार !
एकता में बल है, एकता का धर्म निभाओ,
गणतंत्र के इन खम्बों को और मजबूत बनाओ,
इतिहास के पन्नों को पल्टो, क्यों भारत गुलाम हुआ ?
हम स्वतंत्र रहे, देश विकसित सुरक्षित हो, ये करो दुआ !
इस संधर्व में अटल बिहारी बाजपेई (पूर्व प्रधान मंत्री) जी की कविता
के कुछ अंश यहां दे रहा हूँ :-
“बाधाएं आती हैं आएं, घिरे प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे, सर पर बरसे यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते हँसते, आग लगा कर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा,
हास्य रुदन तूफानों में, अमर असंख्य बलिदानों में,
उद्यानों में वीरानों में, अपमानों में सम्मानों में,
उन्नत मस्तक उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा !!
उजियारे में अंधियारे में, कल कहार में बीच धार में,
घोर घृणा में पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीगर हार में,
जीवन के शत शत आकर्षण, अरमानों को दलना होगा,
कदम मिला कर चलना होगा, !
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिंतन कैसा इति अब श्लथ,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम शलथ, असफल सफल, सामान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न माँगते, पावस बनके ढलना होगा,
कदम मिला कर चलना होगा !
कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार में बंचित योवन,
नीरवता से मुखरित मधुवन, परहित अर्पित अपना तन मन,
जीवन को शत शत आहुति में जलना होगा ढलना होगा,
कदम मिला कर चलना होगा ! ( A B B)
जागते रहो !
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