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विपक्ष द्वारा खेला जा रहा खतरनाक खेल

jagate raho
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मेरा भारत महान ! हम रोज १५ अगस्त १९४७ से इस शब्द को दोहराते आरहे हैं ! लेकिन आज जब हम अपने को २१ वीं सदी का सच्चा भारतीय होने का दावा करते हैं, क्योंकि हम केवल आम आदमी हैं, वहीं हमारे जाने माने नेता जिनका परिवार १९४७ से ही सत्ता के शीर्ष पर विराजमान रहा, चाहे प्रधान मंत्री बनकर चाहे पार्टी की ऊंची कुर्सी पर विराजमान होकर ! आज जब विपक्ष सत्ता पर आया तो इनको लगा की ये तो हमारी खानदानी विरासत थी, विपक्ष के पास कैसे चली गयी ? इनके मुंह से निवाला छिन गया, यह हार आज भी उनके गले नहीं उत्तर रही है ! वे सरकार को बदनाम करने का कोई भी चांस नहीं गंवाना चाहते, उसके लिए उन्हें विदेशी ताकतों से मदद भी लेनी पडी वे पीछे नहीं हटेंगे ! अभी हाल ही में अफजल नाम के एक आतंकी की फांसी पर जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में आतंकवादी संघठन के विद्यार्थियों द्वारा इस फांसी पर ऐतराज जताया गया तथा पाकिस्तान जिन्दावाद के नारे लगाए गए ! क्या ये गद्दारी नहीं है ? विद्या के मंदिर में भारत की भूमि पर खड़े होकर, उसी का अन्न खाकर, उसी के संसाधनों का इस्तेमाल करके, पाकिस्तान का नारा लगाना, अगर गद्दारी नहीं तो क्या है ? जेएनयू का विद्यार्थी युनियन का प्रेजिडेंट इस काफिले का लीडर था जो स्वयं भी वामपंथी पार्टी से जुड़ा हुआ है ! कम्यूनिष्ट की वफादारी तो देश को १९६२ से ही पता है जब भारतीय कम्यूनिष्ट मार्किष्ट पार्टी १९६२ के युद्ध में चीन का साथ दे रही थी ! अभी हाल ही में जनता द्वारा पदच्युत किये पार्टी के उपाध्यक्ष जेएनयू में आकर खुले दिल से इस आतंवादी संघठन का पक्ष लेकर स्वयं सेवी संघठन को गद्दार बता रहा था ! और विपक्ष कौन मार्किष्ट कम्यूनिष्ट पार्टी के राष्ट्रीय नेता ! अरे, इन्हें तो उन १० जवानों के बलिदान का किस्सा भी याद नहीं रहा जो हाल ही में साईचिन में देश की सुरक्षा करते हुए, ड्यूटी के दौरान २५ – ३० फ़ीट नीचे बर्फ में दब गए थे ! देश में बड़े से बड़े कुकर्म करने पर, जघन्य अफराध ह्त्या करने पर, गद्दारी करने पर बहुत कम को फांसी पर लटकाया जाता है, इसी का लाभ उठाकर रोज अफ़राधियों द्वारा बेख़ौफ़ सैकड़ों लोगों के बीच बेगुनाहों को मौत के घात उतारा जाता है ! एक लड़की आतंकी पुलिस मुठभेड़ में मारी गयी, विपक्ष ने उलटे पुलिस की नियत पर ही सवाल खड़े कर दिए ! इस हालत में सुरक्षा कर्मी कैसे अपने दायतों को पूरा कर पाएगा ! अगर सरकार मेरी सलाह माने तो जेएनयू के जितने भी आतंकवादी संघठन वहां पल रहे हैं उन सारों को तथा उनके समर्थन में जो खड़े हैं उनको साईचिन ग्लेशियर में एक महीने की ड्यूटी पर लगवा दिया जाय ! सारी राजनीति ठिकाने आजाएगी ! वे भी तो किसी के बच्चे हैं, पिता है, भाई हैं पति हैं जो अपनी जान पर खेल कर उन ग्लेशियरों में पाकिस्तानी दुश्मनों से देश की रक्षा में खड़े हैं ! हरेन्द्र सिंह रावत पूर्व सैनिक

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