Menu
blogid : 12455 postid : 1142540

क्या यही वो भारत है जहां तिरंगा लहराता है !

jagate raho
jagate raho
  • 456 Posts
  • 1013 Comments

जहां रोज सीमा पर आतंकवादियों और पाकिस्तानी घूस पैठियों से संघर्ष करते हुए सैकड़ों सैनिक और अधिकारी मारे जाते हैं, कोई पाकिस्तानी सीज फाईर से जीवन मृत्यु से लड़ते हुए अस्पतालों में तड़पता हुआ रहता है ! देश पर कुर्वान होने वाला या हास्पिटलों में जीवन मृत्यु से लोहा लेने वाला कोई तो दो तीन साल का नव युवक होता है, जो यूनिट में पदार्पण करते ही ग्लेशियर की दुर्गम घाटियों में बर्फ के नीचे दब जाता है या आतंकियों को मार भगाते हुए आतंकी गोली से मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, पीछे छोड़ कर अपने माँ बाप को, उनकी भविष्य की महत्वकांक्षावों पर विराम लगाकर चला जाता है, उन्हें जन्म भर रोने चिल्लाने के लिए ! कोई कोई तो अभी अभी शादी करके अपनी नव यौवना पत्नी को भविष्य के सुनहरे स्वपन दिखाकर पीछे छोड़ कर अपनी यूनिट में चला जाता है और आतंकवादियों से लड़ते हुए मातृभूमि पर कुर्वान होजाता है ! वो भी तो किसी माँ बाप की उम्मीदों की डोर, प्यारा सा लला रहा होगा, किसी का सुहाग, नन्ने नन्ने मासूम बच्चों का पिता रहा होगा ! किसी बहिन का भाई रहा होगा जो हर रक्षा बन्धन पर उसकी कलाई पर रक्षा धागा बांधने के लिए उसका इंतजा किया करती रहेगी, जिंदगी भर ! लेकिन इन मतलब परस्त घिनौनी राजनीति करने वाले राजनीतिज्ञ लोग इस प्रेम बंधन को क्या समझेंगे ! उन्हें तो मुद्दा मिलना चाहिए जेएनयू में कन्हैया के साथ क्या हो रहा है, उसे पुलिस ने क्यों जेल में बंद दिया हुआ है ? अरे भारत की भूमि पर अफजल गुरु, भट्ट जैसे आतंकियों को सर्वोच्च न्यायालय ने गद्दारह करने पर फांसी दी, उनकी वर्षी पर, जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में पाकिस्तानी नारे लगाए गए, राहुल गांधी जैसे नेता वहां जाकर उनकी पीठ थपथपाते रहे, साथ ही उनकी अभिव्यक्त पर अंकुस लगाने के लिए सरकार की आलोचना करने में भी पीछे नहीं रहे ! उधर कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बर जनाव, कहता है की उसे फांसी की जगह आजन्म कैद होनी चाहिए थी ! वाह क्या खूब !! क्या ये शब्द पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों को खुश करने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं ! मतलब कोर्ट के फैसले पर ऐतराज जताया गया ! पी चिदंबरम जी ने तो आतंकवादी इशरत (एलईटी की सदस्य) को भी सच्ची देश भक्त बताया और गृहमंत्री रहते हुए कोर्ट में भेजने वाला एफिडेविट भी बदली करवाया ताकि तत्कालीन गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदीजी और उनका पुलिस दल को इस षडयंत्र में फंसाया जा सके ! आंतकवादियों को खुला सरक्षंण मिल रहा था और उधर जेएंडके तथा अन्य सीमावर्ती इलाकों में सेना के जवान नेताओं की दैशतगर्दी और सडयंत्र का शिकार हो रहे थे ! मीडिया, न्यूज पेपरों, समाज सेवक, एनजीओ, कल्याणकारी संस्थाएं जो स्वयं समाज का दर्पण होती हैं किस बहस में फंस गए, ये कभी रोहित वेमुला की खुद कुसी करने पर बखेड़ा खड़ी कर रहे हैं, जब की उसने अपने सुसाइड नोट में इस मौत के लिए स्वयं को ही जिमेवार बताया था ! कन्हैया, उमरखलीद, अनिर्वाण भट्टाचार्य पर ही गर्म गर्म चर्चाएं हो रही हैं ! जैसे इन लोगों ने आतंवाद का साथ न देकर पाकिस्तान जाकर आतंकवादियों प्रशिक्षण केंद्र तथा किला फतह कर उनका नामोनिशान मिटा दिया हो ! क्या यह सच है की जैसे लोग कहते हैं ‘भारत में मीडिया बहुत नीचे स्तर पर पहुँच चुकी है’, जहां से ज्यादा से ज्यादा ऐड मिलते हैं जहां से ज्यादा कमाई होती है उन्हे के गीत गए जाते हैं, ‘छोडो सैनिकों के बलिदान को, वो रोज मरते ही रहते हैं, आम बात है ! है न घटिया सोच ! आओ सब लोग, देश से प्रेम करने वाले निष्टावान नागरिक मीडिया को सजग करें, उन्हें उनका असली कर्तव्य पर ध्यान देने के लिए निवेदन करें, सुरक्षा कर्मियों के गिरते हुए लहू की बूंदों को निरर्थक न जाने दें ! जय हिन्द जय भारत ! हरेन्द्र एक पूर्व सैनिक वरिष्ठ नागरिक

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply