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आज देश नफरत की आग में जल रहा है, केवल इसलिए की देश का प्रधान मंत्री एक निष्पक्ष, ईमानदार, वफादार, सच्चा देश प्रेमी है जो अपने को प्रधान मंत्री नहीं जनता का प्रधान सेवक कहता है, न खुद खाता है न किसी को सरकारी खजाने पर गिद्द दृष्टी लगाने देता है, यहां तक की अपनी पगार भी हर महीने गरीबों के उदरपूर्ती करने दान कर देता है ! अपनी वृद्ध माँ का इलाज सरकारी अस्पतालों में जनरल वार्ड में दाखिला दिला कर करवाता है ! जिसका माँ के अलावा कोई अन्य नॉमिनी नहीं है ! १९६५ में तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश को एक नारा दिया था, “जय जवान जय किसान’ ! किसान कठिन मेहनत करके हल के फल से धरती का सीना फाड़ कर अन्न उपजाता है, देश के हर जाति वर्ग का पेट भरता है, एक बेटे को अपने साथ खेती के काम में लगाता है और एक बेटे को देश की सुरक्षा के लिए आर्मी, नेवी या एयर फ़ोर्स में भर्ती करवा देता है ! धीरे धीरे आर्मी वाला सीमाओं पर तैनात रहकर साईचीन जैसी ऊंची और दुर्गम चट्टानों के ऊपर सर्दीली हवाओं को सहन करते हुए, बर्फीली शिलाओं के खिसकने से दब जाते हैं, या फिर आतंकवादियों के अचानक कैम्प पर आक्रमण होने से उनसे लड़ते हुए शहीद हो जाते हैं, छोड़ कर अपने बूढ़े माँ बाप को, पत्नी और नादान बच्चों को, ताकि देश की अखंडता सुरक्षित रहे ! जब भी पड़ोसी दुश्मनों चीन तथा पाकिस्तान ने देश पर जबर्दस्ती युद्ध थोपा तो अपने जावाजों ने अपनी कुर्वानी देकर भी न देश के झंडे को झुकने दिया और न भारत माँ की अखंडता पर ही कोई आंच आने दी ! उधर दूसरी ओर किसान का तीसरा सुपुत्र नेता, राजनेताओं का थैला उठाते उठाते हुए खुद नेता का खद्दर का कुर्ता पाजामा पहिनकर नेता बन जाता है, वोट बैंक बनाने के लिए, असामाजिक तत्वों का नेतृत्व करके सरकार के खिलाफ स्कूल कालेजों में विद्यार्थियों को भड़काता है, कभी पटेलों को तो कभी जाटों को आरक्षण के लिए आंदोलन करवा करके लूट पाठ, मार काट, आगजनी करवा कर सरकार की अरबों की सम्पति का नुक्सान करवाता है !
आगजनी और दैशत फैलाने वाले ये भूल जाते हैं की उनके अपने ही भाइयों ने जिस देश की सुरक्षा करते हुए अपने को ही कुर्वान कर दिया था, ‘उसी देश में अपने ही देशवासियों को हम दैशतगर्दी के भंवर में फंसाने का निष्क्रिय काम क्यों कर रहे हैं’ !
ऐसे सिर फिरे लोगों को इंसानियत की बात समझ में नहीं आती ! उनके साथ तो भूत बनकर उनकी गर्दन में सवार होकर उन्हें काबू किया जाना चाहिए ! अभी हाल ही में जाटों ने अपनी कौम के लिए आरक्षण पाने के लिए आंदोलन छेड़ा, हरेक को अपनी मांग रखने का हक़ है, अगर माँगने से नहीं मिलता तो शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करना चाहिए ! १९४७ में जब देश आजाद हुआ था तो अंग्रेज यहां की मिट्टी भी उठाकर ले गए थे, कुछ नहीं छोड़ा था जालिमों ने ! ये जो देश की खूब सूरत तस्वीर बनी थी ये सारे देशवासियों की कठीन मेहनत से बनी थी जहां हमारे किसान भाइयों और मजदूरों ने आम जनता से कंधा से कधा मिलाकर, पानी की जगह पशीना और ईंट की जगह अपने हड्डियों के घर्षण से उत्पन हुए धातु को रक्त की बूंदों से मजबूती देकर तैयार किया था और जाट आंदोलन ने मिनटों में अपने पूर्वजों की मेहनत को मिट्टी में मिला दिया ! हम अपनी आगे आने वाली संतान को विरासत में क्या देकर जाएंगे ? क्या उन सिर फिरे दैशतगर्दों ने कभी सोचा है ! कल तक रोहतक जिला अपनी शान और शौकत के साथ गर्व से सीना उठाये अपने ख़ूबसूरती और विकास की गौरवगाथा बयां कर रहा था और आज चारों और बर्बादी का मंजर नजर आरहा है ! अरे देशवासियो, वे भी तो अपने भारत माँ की बेटियां ही थी जिनका कौमार्य भंग कर किया गया बेरहमी से ! क्या ऐसे शैतान, नर रूपी भेड़ियों को, देश से गद्दारी करने वालों को, देश की सम्पति आग के हवाले करके नष्ट करने वालों को समाज माफ़ कर सकेगा ! कौन करेगा अरबों रुपयों की क्षति पूर्ती ? ज़रा सोचिए और अपनी टिप्पणी दीजिए ! हरेन्द्र -जागते रहो !
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