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बोल कन्हैया बोल जवान में जहर घोल, पता नहीं फिर मौका मिले की नहीं

jagate raho
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“जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया बोल,
जवां में चाहे जितना जहर घोल,
कोई नहीं मांगेगा तुझसे मोल !
तुम्हे पता है साम्यवाद क्या है,
जिसका गले में डाले है ढोल ?”

ज़रा इतिहास उठाकर देख, संन १९६२ – चीन ने भारत पर अटैक किया, देश में पल रहे सारे साम्यवादियों ने चीन का साथ दिया ! इनके जवां पर था लाल सलाम, चाहे फिर हो जांय चीन के गुलाम ! कांग्रेस जो उन दिनों सत्ता में थी, चीन से नजदीकियां बढ़ा रही थी, पंचशील दुपटा गले डाल कर शांती के कबूतर उड़ा रही था ! सुरक्षा बलों की संख्या कम करके, अपने कुंद पड़े पुराने हथियारों का जखीरा चीन के प्रधान मंत्री चाऊइन्लाई को दिखला रही थी, उसे यकीन दिलाने के लिए की ” हम शांति प्रिय हिन्दुस्तानी हैं, हमारा कोई दुश्मन नहीं ! चीन ने हिन्दुस्तान की सैन्या दल बल के प्लस माइनस का हिसाब लगाया, इसी कमजोरी का फ़ायदा उठाया, भारतीय साम्यवादियों को साथ मिलाया और आगे जो हुआ सारा संसार जानता है ! १९६२ की चीन द्वारा जबदस्ती कब्जाई हुई, हमारी जमीन आज भी चीन के कब्जे में है ! हाँ चीन ने हमारे सैनिकों को जिन्हें उन्होंने युद्ध बंदी बना दिया था, इंसानियत के नाते वापिस हमारी सैना को लौटा दिया था ! जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय जो, जनता के जेबों की खून पशीने की कमाई पर चलता है, जिसके आँगन से निकले विद्यार्थी, अपने प्रतिभा और हुनर से देश और विदेशों में देश का नाम रोशन कर रहे हैं, उसी के आँगन में आज फूलों की जगह कांटे उग आए है ! आज यहां के विद्यार्थी साम्यवाद विचार धारा की त्रिवेणी में गोता लगा रहे हैं, देश को बर्बाद करने के नारे लगा रहे हैं, आतंकवादियों की वकालात कर रहे हैं और यहां तक भारत के प्रधान मंत्री के लिए अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल तक करने में कोई कोताई नहीं बरत रहे हैं ! ‘क्या जनता को ऐसे साम्यवादी विचारधारा के विद्यार्थियों की आरती उतारनी चाहिए’ ? क्या राहुल गांधी, बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार जी, दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल को सरे आम ऐसे सर फिरे कन्हैया जैसे बेलगाम विद्यार्थियों की ‘वाह वाह’ करनी चाहिए, वह भी केवल इसलिए की क्योंकि वह नरेंद्र मोदी जी की बुराई कर रहा है ! वह भी तब जब कोर्ट से जमानत मिली इस चेतावनी के साथ की “तुम अभी देशद्रोह के चार्ज से वरी नहीं हो”, !
जेल से निकलते ही हाथ में तिरंगा झंडा लेकर एक लंबा चौड़ा भाषण झाड़ दिया, प्रधान मंत्री मोदीजी को खरी खोटी सुना गया ! उसके भाषणों से प्रशन्न होकर पश्चिमी बंगाल के साम्यवादी नेताओं ने तो खुले आम उसे अपना २०१६ चुनाव प्रचार के लिए एजेंट बनाने की घोषणा भी कर दी ! कन्हैया जिसको कल तक कोई नहीं जानता था, केवल एक बार, जेएनयू के प्राणांगण में “भारत की बरबादी और पाकिस्तान जिन्दावाद” का नारा लगाने पर, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी को अशब्द कह देने से वह रातों रात नेता बन गया ! हर अखबार, मैगजीन, टीवी, यहां तक मीडिया के एड्स में भी कन्हैया का नाम आ रहा है, ये अलग बात है की सच्ची सोच वाले बहुत सारे सज्जन, उससे नाखुश हैं और चंद इने गिने केजरीवाल, नीतीश कुमार, राहुल गांधी, शत्रुघन सिन्हा जैसे राजनीतिज्ञ उसकी पीठ थपथपा रहे हैं ! सबसे मजे की बात नरेंद्र मोदी जी जैसे वरिष्ठ देश भक्त उसकी नादानी कच्ची अकल पर अफसोस कर रहे हैं ! भारत का एक वरिष्ठ नागरिक होने के नाते मैं तो ‘कन्हैया’ को केवल इतना ही कह सकता हूँ, “बोल कन्हैया बोल जवां में जहर घोल, अपने वतन को गाली दे दे या प्रधान मंत्री मोदी जी को जो चाहे बोल, फिर शायद तुझे कभी जवां खोलने का अवसर न मिले ! जय भारत, जय हिन्द हरेन्द्र जागते रहो !!

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