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मैं एक स्थल सैना का सैनिक था और अब भूत पूर्व सैनिक हूँ, २८ साल देश की सेवा की, करीब करीब देश का हर कोना, हर हिस्सा देखने का मौक़ा मिला ! दिल्ली में ट्रेनिंग ली, १० – ११ साल जम्मू काश्मीर की घाटियों में बिताए ! कभी पूंछ, कभी श्रीनगर तो कभी कारगिल की गगन चूमती चोटियों में सेवा करने का अवसर मिला ! महाराष्ट्रा वृहत मुंबई, लखनऊ, फैज़ाबाद बनारस. मध्य प्रदेश की टॉमस रिवर, के किनारे ट्रेनिंग कैंप लगाए, रीवां , सुहाग की पहाड़ियों में चढ़कर मैदानी और पठारों के दर्शन करने का अवसर मिला ! पठार पर शिव लिंग के रूप में छोटे छोटे ककण भी इकट्ठे किए ! राजस्थान में तो तीन बार बटालियन को सेवा करने का अवसर मिला, पहले जयपुर-जोधपुर, दुबारा नसीराबाद, अजमेर, पुष्कर (ब्रह्मा जी का एक मात्र मंदिर), यहीं से १९७१ की लड़ाई में भाग लेने के लिए जैसलमेर से रामगढ़ और किशनगढ़ पहुंचे ! हमारे कैंप के ठीक सामने पाकिस्तान का डिवीज़न हेड क्वाटर्स था रहीमयार खान ! यहीं पर बैटल ऑफ़ लोंगेवाल का युद्ध लड़ा गया था ! पाकिस्तान के ३६ टैंकों की समाधी हमारे लड़ाकू विमानों ने यहीं पर बनाई थी ! तीसरी बार बीकानेर गए, विश्व प्रसिद्ध करणी माता का मंदिर (चूहों का मंदिर), के दर्शन किये ! पूर्व में आसाम, नेफा, अरुणाचल, मिज़ोरम में भी दो तीन साल सेवा की !
साइना से अवकास लेने के बाद जम्मू काश्मीर में वैष्णों देवी के दर्शनों को गए, वहीं प्रसिद्द रघुनाथ मंदिर, श्री शंकराचार्य जी का मंदिर भी हैं ! उत्तराखंड में उत्तरकाशी और चमौली में यमनोत्री, गंगोत्री केदारनाथ और बद्री नाथ के साथ साथ गौरी कुंड, फाटा भी गए ! केदारनाथ के लिए फाटा में ही हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध है ! उत्तराखंड की पर्वत शिखरों से निकली नदियां, गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, गरुड़ गंगा, रामगंगा, पिंडर जहां एक दूसरे से मिलाती हैं वह संगम प्रयाग बन जाता है ! यहां के प्रयाग, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, सोनप्रयाग, ये सारे प्रयाग उत्तराखंड में ही हैं ! यमुना जी, सरस्वती और गंगा जी इलाहाबाद में मिलाती हैं जो प्रयागराज से जग जाहिर है ! इन देव भूमि में में बहने वाली नदियों के पवित्र जल से स्नान करके अपने तन मन को तो शुद्ध किया ही साथ ही अपने पिछली सात पीढ़ियों को भी तमाम बंधनों से मुक्त करवा दिया, इन प्रयागों के पंडों ने पढ़े गए अपने मन्त्रों के रहस्य बताते हुए कहा था !
भारत में शिव जी के १२ ज्योतिर्लिंग हैं:-
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्री शैली मल्लिकार्जुन,
उज्जयिन्यां महाकाल्मोंकारममलेश्वरम !!
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरम !
सेतु बंधे तू रामेशं नागेशं दारुकावने !!
वाराणस्यां तू विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तट !
हिमालय तू केदारं घुश्मेशं च शिवालये !!
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सांय प्रात: पठेन्नर: !
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति !! ४
(१) सौराष्ट्राप्रदेश (काठियावाड़) में सोमनाथ, (२) श्री शैलपर श्रीमल्लिकार्जुन,
(३) उज्जयनी (उज्जैन में महाकाल (४) ऊँकारेश्वर अथवा अमलेश्वर (५) परली में वैद्यनाथ,
(६) डाकिनी नामक स्थान में श्री भीमशंकर (७) सेतुबंध पर श्री रामेश्वर, (८) दारुकावन में श्री नागेश्वर (९)
वाराणसी (काशी) में श्री विश्व्नाथ, (१०)गौतमी (गोदावरी) के तट पर श्री त्र्यम्बकेश्वर, (११) हिमालय पर केदारखण्ड में श्री केदारनाथ और (१२) शिवालय में श्री घुश्मेश्वर को स्मरण करें !
चारों दिशाओं में चार धाम गुजरात में श्री द्वारिका धाम, उत्तर उत्तराखंड केदारखण्ड में श्री केदारनाथ श्री बद्री नाथ जी , पूर्व उड़ीसा में श्री जग प्रसिद्द जगन्नाथ जी, दक्षिण में श्री रामेश्वरम (चेन्नई में ) !
सूर्य के १२ नाम :-
ओउम मित्रायनम:, ओउम रवए नम: , ओउम सूर्यायनम: ओउम भावने नम:, ओउम खगाय नम: ,
ओउम पुषणे नम:, ओउम हिरयगर्भाय नम:, ओउम मरीचये नम:, ओउम आदित्याय नम:, ओउम सवित्रे नम:, ऊ अर्कायनम:, ओउम भास्कराय नम: ! शेष दूसरे भाग में
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