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आओ आपको हिन्दुस्थान की सैर कराएं ! भाग दो

jagate raho
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Boat ride

पूर्व पश्चिम और उत्तर भारत का भ्रमण किया, भाषा, संस्कृति, रहन सहन, पहनावा, लोक नृत्य, रिवाज और परम्पराएं और वहां की शिक्षा और विकास समन्धी परियोजनाओं का भी अवलोकन किया ! फैलता हुआ प्रदूषण और राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा इस फैलते हुए जहर को रोकने के प्रयास पर भी गौर किया ! गढ़वाल का मध्य भाग पौड़ी गढ़वाल के खेत खलियान धीरे धीरे जंगल में परिवर्तित हो रहे हैं ! जंगली जानवरों के भय से जवान लोग आजीविका के लिए बड़े नगर महानगरों की तरफ भाग रहे हैं और अपने बच्चों को शहर और कस्बों में पढ़ाई के लिए छोड़ रहे हैं, पीछे रह जाते हैं बूढ़े, फौजी या सेमि फौजी पेंशनर ! हाँ केदार नाथ, बद्रीनाथ, गौरीकुंड, चमोली, उत्तरकाशी, श्रीनगर, गौचर, टेहरी गढ़वाल, अल्मोड़ा, नैनीताल, उधमसिंह नगर, पिथौरागढ़ सडकों के किनारे पड़ने वाले गाँव और कसबे अभी बसत किये हुए हैं ! आज के दिन पहाड़ी प्रदेशों में सबसे विकसित दिखने वाला प्रदेश है हिमांचल प्रदेश, वहां के करीब ज्यादातर लोग चाहे वे फौजी हैं, या सरकारी अर्धसरकारी नौकरियों से अवकास लेकर अपने जन्म स्थान में ही बाग़ बगीचे, खेत खलियानों को देखते हैं ! यहां सेब, खुमानी, आड़ू, पपीते, नासपाती और भी बहुत से फलों के बाग़ बगीचे हैं ! फलों और राजमा के लिए जम्मू काश्मीर कभी जाना जाता था लेकिन आज आतंकवाद ने सब कुछ तहस नहस कर दिया है जम्मू काश्मीर को ! इन आतंकियों ने अपने ही हाथों अपने पावों में कुल्हाड़ी मारी है ! एक हरा भरा, कुदरती खूबसूरत सम्पदाओं से ओत प्रोत सजा सजाया जम्मू काश्मीर आज चंद सिर फिरे आतंकियों के कारण से बर्बादी के कगार पर है ! कल का धरती पर स्वर्ग बर्फीली ऊंची उठती हुई चट्टाने, आसमान को छूने वाली कुदरत द्वारा विरासत में दी हुई सम्पदा आज चंद आंतकियों के कारण नर्क बंटी जा रही है !
बैठे ठाले, सोचा दक्षिण का इलाका अभी नजरों के दायरे से दूर है क्यों न इन राज्यों में जाकर वहां के प्रसिद्द धार्मिक, ऐतिहासिक स्थानों में जाकर हिन्दुस्थान का इतिहास भूगोल की जानकारी से अपना ज्ञान बर्धन किया जाय ! मेरी बिटिया उर्वशी ने दक्षिण टूर का पॅकेज लिया और मैं पत्नी अपनी बिटिया के साथ २२ मार्च मंगलवार को रामेश्वर कन्या कुमारी के दर्शनों के लिए निकल पड़े ! इंद्रा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे दिल्ली से ९ बजे की इंडिगो फ्लाईट से हम लोगों ने सफर शुरू किया और दिन के साढ़े ११ बजे बंगलौर पहुंचे ! वहां रेस्ट हाउस अपार्टमेंट में कमरा बुक था शाम के ८ बजे तक यहां विश्राम किया ! मेरी धोती (उर्वशी की बिटिया नीतिका) जो आजकल पूना में सेवारत है, हमें इस रेस्ट हाउस में मिली और इस टूर में शामिल हुई ! मेरी पत्नी की भतीजी शुष्मी की लड़की मुदिता भी जो बंगलौर में सेवारत है मिलने के लिए आई थी ! ९ बजे रात की ट्रैन मैसूर एक्सप्रेस से हम चारों मदुराई के लिए रवाना हुए और सुबह ७ साढ़े सात बजे हम लोग मदुराई पहुँच गए थे ! वहां पर टूर ट्रेवल एजेंसी वालों ने टैक्सी ड्राइवर के साथ हमें स्टेशन पर लेने के लिए भेजा हुआ था ! होटल इस्टोरिया में डीलक्स रूम बुक कर रखे थे ! ईस्ट फेसिंग, सुबह का बहुत ही आकर्षक नजारा देखने को मिला ! दिन को वहां का मशहूर पैलेस देखा, गांधी धाम और फिर मीनाक्षी मंदिर में शिव जी तथा मीनाक्षी देवी के दर्शन किये ! मंदिर की बनावट बहुत ही आकर्षक है और विभिन कलाओं के संगम से इसकी खूब सूरती में चार चंद लग गए हैं ! दो सौ सालों से भी पुराना मंदिर आज भी अपनी शान शौकत और हिन्दुवों के सारे देवताओं की पत्थर पर गढ़ी मूर्तियां आज भी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं ! कलाकारों ने अपना हुनर इन बेजान शिलाओं में जान डाल कर प्रयटकों और सैलानियों का मन मोह लिया है ! यह मंदिर मजबूत १२०० से भी ज्यादा खम्बों पर टिका हुआ है ! कम से कम पूरा मंदिर घूमने के लिए एक गाइड की जरूरत है और 6 – 7 घंटे तो कम से कम चाहिए ! मदुराई के सजे सजाए बाजार, सड़कें, रोड पर गाड़ी चलाने वाले चालकों का अनुशासन सफाई से सैलानियों का मन प्रशन्न हो जाता है ! टैक्सी ड्रावर जॉनसन बड़ा ही हंसमुख, हुनरबन्द, पूरे इलाके शहरों सडकों और प्रसिद्ध स्थानो की जानकारी रखने वाला था ! उसने हमें कही नए स्थाओं पर लेजाकर वहां का भौगोलिक, राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक परिस्थितियों से अवगत कराया तथा स्थानीय लोगों के रहन सहन और भाषा सम्बन्धी भी जानकारी दी ! वह खुद अंंग्रेजी भाषा ही इस्तेमाल करता था ! अंग्रेजी की अच्छी जानकारी होने से हमें वहां के स्थानीय लोगों से भी बात चीत करने में मदद करता रहा ! मदुराई से चेन्नई शुरू हो जाता है, लेकिन किसी भी गाइड, दुकानदार या स्थानीय आम आदमी ने यह नहीं कहा की वो हिन्दी नहीं जानता ! बाहर से आने वालों के साथ वहां के दुकानदार, फेरीवाले तथा रिक्सा, टैक्सी चलाने वालों का व्यवहार मुझे तो ख़ास तौर पर फ्रेंडली लगा ! २४ तारीख को हमने मदुराई छोड़ दिया और चल पड़े अगले पड़ाव ‘रामेश्वर’
की ओर ! रामेश्वर जाने से पहले राम सेतु और धनुषकोटि नामक स्थान देखने गए ! यहां पर स्थानीय लोग समुद्र से शंख, कौड़ी और बहुत से आकर्षक वस्तुएं पर्यटकों को दिखाते हैं ! कहते हैं धनुषकोटि सं २०१४ तक एक बड़ा आकर्षक कस्बा था, यहां रेलवे स्टेशन था, डाकघर था, सजा सजाया बाजार था, पानी की टंकी थी, जो सारे इलाके को पानी सप्लाय करती थी ! २०१४ में समुद्र क्रोधित हुआ और सुनाली में सब कुछ अपने साथ समेट कर ले गया ! जन धन की भी बड़ी क्षति हुई ! आज खंडहर मात्र गवाह बनकर खड़े हैं की कभी यह बिरान उजडा हुआ कस्बा रामेश्वर के मार्केट से शान शौकत और चमक धमक में कम नहीं था ! अब तो स्थानीय लोग इस विश्वास के साथ आस के भरोशे यहां छोटी छोटी रेडी लगाकर पर्यटकों को समुद्र की लहरों के दृश्य देखने के लिए रोक लेते हैं और विश्वास दिला देते हैं की अगली यात्रा पर आपको फिर से असली धनुष कोटि के दर्शन होंगे ! फिर से दिन फिरेंगे और धनुषकोटि एक बार फिर इतिहास से लौट कर हकीकत बन जाएगा !
फिर रामेश्वर मंदिर के दर्शन किये ! वह मिट्टी का बनाया हुआ शिव लिंग जो भगवान रामचन्द्र जी ने यहां आकर समुद्र के किनारे बैठकर बनाया था, आज भी मंदिर में अपनी विशेष पहिचान बनाए हुए है ! इस पर मोती जड़ा हुआ है, दर्शनार्थियों को भगवान राम द्वारा बनाई हुई इस मूर्ती के दर्शन करने के बाद ही अपनी मंदिर यात्रा को सम्पूर्ण समझना चाहिए ! पूरे मंदिर को देखने के लिए दो ढाई घंटे लग जाते हैं ! बाकी तीसरे भाग में

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