Menu
blogid : 12455 postid : 1154080

kobalamआओ हिन्दुस्तान की सैर करें – तीसरा भाग

jagate raho
jagate raho
  • 456 Posts
  • 1013 Comments

nanaji 2

आस्था, भक्ति और श्रद्धा से भरपूर रामेश्वर मंदिर चार धामों में एक धाम की परिक्रमा, जहां शिव शंकर जी के लिंग की स्थापना समुद्र के पानी और बालू से स्वयं भगवान रामचंद जी ने लंका में जाने से पहले किया था ! वह लिंग अभी भी मंदिर की शोभा बढ़ा रहा है, उसकी विशेषता है की उसमें मोती जड़ा हुआ है और उस मोती की चमक दर्शनार्थियों की आँखों को शीतलता प्रदान करती है ! यहां से हमने १० बजे के लगभग अपनी अगली यात्रा शुरू की, अगले पड़ाव कन्या कुमारी की तरफ ! कन्याकुमारी हम शाम को साढ़े पांच बजे पहुँच गए थे, वहां होटल सी फेस में रूम बुक थे ! कमरों की खिड़की सामने समुद्र की तरफ खुलती थी, जहां भारत के महान पुरुषों में एक स्वर्गीय श्री विवेकानन्द जी महाराज के नाम से समुद्र में एक रॉक है जिसके साथ ही एक आलीशान भवन भी है जहां विवेकानन्द जी के कार्यों की लाइबरेरी व् सारे दस्तावेज संगृहीत हैं ! इसका रखरखाव और देखभाल एक स्थानीय ट्रस्ट के अधीन है ! २५ मार्च को छ बजे के लगभग हम लोग समुद्र के किनारे सन सेट का नजारा देखने के लिए गए ! इस नज़ारे को देखने के लिए काफी भीड़ जुड़ गयी थी ! समुद्र किनारे बड़े बड़े शिला खण्ड थे, बहुत सारे लोग उन शिलाखण्डों के ऊपर बैठकर सन सैट का नजर देख रहे थे और मोबाइल से फोटो खिंच रहे थे ! मौसम अच्छा था न गर्म न सर्द ! देश के विभिन्न प्रांतों से आए लोग, अपनी अपनी भाषा, अपने अपने भेष, भूषा में, अपने अपने रीति रिवाजों के साथ, ऐसा लग रहा था जैसे सारा भारत यहां आगया हो ! यहां से सूर्य महाराज के डूबने का दृश्य बहुत ही आकर्षक होता है, इसलिए लोग यहां आकर इस दृश्य का अवलोकन जरूर करते हैं तथा यादगार स्वरूप फोटो भी लेते हैं ! अगले दिन हमने अपने होटल की खिड़की से सन राइज का भी दृश्य देखा वही साढ़े छ बजे ! श्री विवेकानन्द रॉक तक जाने के लिए बहुत सारी मोटर वोट हैं ! सुबह ही लाईन लग जाती हैं ! हम भी लाईन में शामिल होगये ! सजी सजाई दुकानों के आगे से दर्शनार्थियों की लाइन धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी ! यहां कन्या कुमारी में काफी भीड़ थी, उत्तर, पूर्व, पश्चिम तथा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश के लोग भी लाइनों में खड़े थे ! साथ ही साथ दुकानों से भी चेन्नई की मशहूर वस्तुवें भी खरीद रहे थे, एक दूसरे के साथ जान पहचान बढ़ाकर हाथ मिलाते हुए हँसते, गुनगुनाते हुए इस लम्बी इंतजारी के तनाव को कम करने का प्रयास कर रहे थे ! दो घंटे की जद्दोजद के बाद अपना नंबर आया, मोटर बोट में बैठकर विवकानंद जी की मूर्ती के दर्शन किये, उनकी लाइब्रेरी देखी ! साफ़ सफाई साज सजावट , बाग़ बगीचों की देखभाल देखकर तबियत खुश होगई ! यहां पर कुदरत भी विशेषखूबसूरती विखेर ने के लिए मेहरवान है, अपने संसाधनों से सजा कर उसने इसे खूबसूरती का ताज पहिना दिया है,सोने में सुहागा ! समुद्र के किनारे काफी होटल और रेस्तरां हैं ! साथ ही वहां बहुत सारे स्थानीय जवान लडके, लंका के सामान बेचने के लिए ग्राहकों की तलाश कर रहे थे, जैसे धूप के चस्मे, घड़ी, और भी बहुत सारे स्मगलिंग आईटम ! धूप के दो चस्मे हमने भी लिए !
भगवान राम ने सैना सहित राम सेतु से समुद्र पार करके लंका में प्रवेश किया था ! रामसेतु नामक स्थान से श्री लंका १८ मील दूर है ! वहां के स्थानीय लोग कहते हैं की रात के समय उन्हें श्री लंका की जगमगाती रोशनियाँ नजर आ जाती हैं ! कन्या कुमारी के बारे में एक किवदन्ती के अनुसार एक कुंवारी लड़की जो शिव जी की बड़ी भक्तन थी शंकर जी को ही अपना पति मान चुकी थी ! यहां के लोक कथाओं के अनुसार वो कुंवारी लड़की इस स्थल पर आयी थी भगवान शिव जी को पति रूप में वरन करने के लिए ! नारद जी इस रिश्ते के खिलाफ थे ! रात के १२ बजे शादी गठबंधन फेरे के लिए समय निश्चित था, लेकिन नारद जी ने ११ बजे ही मुर्गे की बांग देकर सुबह चार बजे की सूचना देदी इस तरह कन्फ्यूजन से यह शादी नहीं हो पायी और कन्या ने इसी स्थल को अपनी तपोभूमि बना दिया आजन्म कुंवारी रहकर ! उसी के नाम पर इस तीर्थ स्थान का नाम कन्या कुमारी पड़ा !! अगले दिन कोबलम, केरल के लिए चल पड़े ! केरल में प्रवेश करते ही प्राकृतिक दृश्यों में भी आकर्षण बढ़ने लगा ! हरे भरे खेत, यहां साल में दो बार चावलों की खेती होती है ! यहाँ होटल जेस्मिन पैलेस में कमरे बुक थे, इसके पीछे स्वीमिंग पूल, बच्चों के लिए हिंडोले, झूले, बैठने केलिए बेंच मौजूद थी ! विभिन रंगों के फूल और पौधे, आसमान छूने की होद में नारियल के पेड़, बुजुर्गों के लिए आरामदायक बेंचें भी वहां सजाई हुई थी ! होटल में सारी सुविधाएं मौजूद थी और सारी यात्रा में कहीं भी होटल सम्बन्धी शिकायत करने का अवसर नहीं मिला ! होटलों में ही रेस्तरां सुविधाएं हैं, खाना, नास्ता साउथ इंडियन होने के स्थान का नाम बावजूद उत्तरी भारत का स्वाद उसमें था ! होटल स्टाफ पढ़े लिखे, सभ्य और अनुशासित थे, बातचीत में मिठास, यहाँ अंग्रेजी भाषा का ही प्रयोग होता है ! २६/ २७ की रात इस होटल में बिताई और सुबह सबेरे यहां के प्रसिद्द मंदिर ‘पद्मनाभम’ जाकर दर्शन किये ! मंदिर में महिलाएं केवल साड़ी में जा सकती थी, सूट पहनने वालों को यहां की साड़ी लेकर पहनने होती है ! मर्दों को कमर से ऊपर नंगा रहना होता है तथा कमर से नीचे वहां की लूंगी जो वहीं पास दुकानों में मिल जाती है पहननी पड़ती है ! भीड़ यहां भी थी, मंदिर तक नंगे पाँव ही जाना होता है ! एक डेड घंटे की इंतजारी के बाद आखिर किवाड़ खुले और ‘पद्मनाभम ‘ भगवान के दर्शन किये ! अगले दिन पूरे २४ घंटे के लिए रिवर पम्पा में मोटर वोट में सैर की ! स्थान का नाम नन्दमुडी था ! वोट में केवल दो लोग थे जो वोट का संचालन कर रहे थे तथा हमारी सुख सुविधा का ध्यान रख रहे थे ! खाना पीना, चाय नास्ता, रहन सहन सब मोटर वोट में ही था ! हमने मचछली खाने की इच्छा जाहिर की, लेकिन उस दिन वोट में मच्छ्ली नहीं थी, पर सहायक मोटर वोट चालाक का घर नजदीक ही था, वह घर से मच्छली बनाकर लाया और हमें खिलाया ! अगले दिन यानि २८ मार्च को हमारी कार केरला की प्रसिद्द
पर्वत श्रेणियों के बीच बसा हुआ मुनार के लिए चल पडी ! ४०० किलो मीटर के लम्बी यात्रा के बाद हम लोग मुनार पहुंचे ! पहाड़ों के बीच सड़कें बनाने वाले इंजीनियरों की तारीफ़ करनी होगी, पूरी यात्रा में कहीं भी नहीं लगा की हम पहाड़ों पर कार चला रहे हैं ! कहीं कोइ टूट फुट नहीं, नदी नालों पर पल काफी डिजाइनदार बने हैं ! घने जंगलों के बीच में भी सफर सुहाना लग रहा था ! बहुत ही खूब सूरत घाटी कुदरत द्वारा संवारा हुआ इंसान ने भी इसकी सुंदरता में इंसानी हीरा मोती जड़ कर और रंगीन बना दिया है ! यहां एक पहाड़ी स्पाईस गार्डन के नाम से प्रसिद्ध है, जहां आयुर्विज्ञान के आचार्यों ने जड़ी बूटियां, पेड़ पौधोे लगाकर बगीचा बना दिया है ! इन पौधों और जड़ी बूटियों से ही आयुर्वेदिक दवाइयां भी यहीं बनाई जाती है ! यहां फैक्टरी भी है तथा विभिन प्रकार की दवाइयों का शो रोम भी है, इच्छुक पर्यटक यहां से आयुर्वेदिक दवाइयां ले सकते हैं , हमने भी कुछ दवाइयां ली हैं ! यहां थैरेपी करने वाले तजुर्बेकार नर और नारियां हैं ! एक डेढ़ घंटे की थैरेपी देते हैं, पैसे १३०० से १५०० चार्ज करते हैं पर मसाज करके तबियत खुश कर देते हैं ! यहां भी बहुत सारे होटल रेस्तरां हैं जिनमें हर मौसम में काफी चहल पहल रहती है ! हमें होटल मिस्टी माउंटेन में कमरे मिल गए थे ! इन होटलों में काफी रस रहता है इसलिए पहले से ही टूर ट्रेवल एजेंसीज वाले कमरे बुक कर देते हैं, उसी समय कमरे नहीं मिलते ! होटल ऐसे स्थान पर हैं जहां सैलानी आसानी से कुदरत के नजारों को देखने का आनंद ले सके ! चारो और पहाड़ियों पर टाटा टी गार्डन फैला है ! बहुत बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं इन गार्डनों की देख रेख करते हैं तथा चाय की पतियों को चुन चुन कर टी फैक्टरी में जमा कर देते हैं ! यहां फैक्टरी भाव पर शुद्ध चाय के पैकेट मिल जाते हैं ! सैलानी खूब खरीदारी कर रहे थे ! खेती के साधन नहीं हैं लेकिन टी गार्डन ने इस पहाड़ी इलाको इंद्र लोक की तरह रोशन कर दिया है ! लोकल अपनी आजीविका से संतुष्ट हैं ! एक रात बड़े आराम से बीता कर अगले दिन मंगलवार २९ मार्च को हमने सुबहसबेरे साढ़े पांच बजे होटल छोड़ दिया था और कोचीन हवाई अड्डे के लिए अपनी अगली यात्रा शुरू कर दी थी ! हवाई अड्डा पंहुचकर हवाई अड्डे पर सारी फॉर्मिलिटियां पूरी करके दो बजे की फ्लाइट से साढ़े चार बजे दिल्ली पहुँच गए थे ! मनल को ही यात्रा शुरू की थी और मंगल को सम्पन की !
बंगलौर, मदुराई, रामेश्वर, कन्याकुमारी और फिर मुनार तक की यात्रा में हमें कही तरह के लोग मिले, सभी अच्छे लोग मिले ! भाषा अंग्रेजी, पहनावा ऊपर आधे बांह की शर्त और लूंगी, पान में चपल ! बड़े छोटे करीब ऐसे ही ड्रेस में रहते हैं लेकिन बड़े नेतानुमा, या क्लास वन खान दानी साफ़ सुथरे और कीमती लूंगी शर्ट और मंहगी चप्पलों में अलग ही नजर आते हैं ! कार्यालयों में पैंट शर्ट कोट का रिवाज है ! स्थानीय दुकानदार लोकल भेष भूषा में रहते हैं ! जो भी मिले मिलनसार वाले ही मिले ! अगर हिन्दुस्थान देखना है तो देश की चारों दिशाओं का भ्रमण करना चाहिए ! जय हिन्द भारत माता की जय !! हरेंद्र

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply