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आज के कुत्ते गजब ढा रहे हैं, १०, १० बच्चे कुतिया ला रहे हैं !
देखते ही देखते ये हजार होगए, बीस नए आते हैं अगर दस खो गए !
अभी तो केवल बच्चों को काटते हैं, बुजुर्गों को अस्प्ताल पहुंचा रहे हैं,
सत्पुरुष इन्हे खाना खिलाते, बदले में पार्क सडकों में गंद मचाते हैं!
हमने नगर निगम से शिकायत की है, पर हर शिकायत पैडिंग में पडी है !
सिफारिस की इन्हें कच्छे ही पहना दो,
यदि इनके लिए फैमिली प्लानिंग नहीं है !
इनकी संख्या पर रोक नहीं लगेगी,
लाखोंमें इनकी संख्या बढ़ेगी,
फिर ये भी लैंड की मांग करेंगे,
वोडो, गोरखा के बाद कुक्कर लैंड मांगेगे !
जब इनका खुद का लैंड होजाएगा,
मानव जाति फिर किधर जाएगा,
द्वारका में पड़ा है कचरे का ढेर,
कुत्तों की गंदगी प्लस सवा सेर,
बिजली करती आँख मिचौनी खेल,
बिजली पानी का आपस का मेल,
अचानक बिजली होजाती गोल,
द्वारका फ्लैटों का क्या रह जाता मोल ?
अगर बिजली पानी बचाना है,
दिल्ली को स्वच्छ ग्रीन बनाना है,
कुक्करों के काटने से अपने को बचाना है,
मेरी एक बात मानों,
कमल पर मोहर लगाकर
अशोक शर्मा को जिताना है !
जय हिन्द भारत माता की जय !
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