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मेरी माँ, जो माँ ही नहीं पिता जी भी थी

jagate raho
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396281_226478107432278_1328064859_nमाँ की ममता की झलक
मेरी मां का परिवार हमारे परिवार से विशेषप्रस्थितियों में आगे था ! मेरी मां अपनी बचपन की कहानी सुनाया करती थी ! वे जब केवल पांच साल की थी मेरी नानी स्वर्गवासी हो गयी थी, ११ साल में माँ के पापा भी चले गए थे ! हमारे गाँव में खेती बहुत होती थी और पास पड़ोस के रिश्तेदार काम करने आजाया करते थे ! मां को इतने सारे लोगों के लिए खाना बनाना सुबह सुबह उठकर पिसाई करना, कुटाई करना, दूर चस्मे से पानी लाना, मवेशियों को सम्भालना ! उन दिनों पनचक्की हुआ करती थी दूर नदी में ! वहां भी नंबर आने में दो दिन लग जाते थे ! विडम्बना देखो केवल ३२ साल में मेरे पापा भी स्वर्गवासी होगये थे ! तीन चाचा थे एक विश्व युद्ध में शहीद होगये थे अंग्रेजों की तरफ से लड़ते हुए, दो भी शहर कस्बों में आजीविका की खोज में चले गए थे ! बूढ़े दादा जी थे जो खेती पाती करने में असमर्थ थे ! ये १९४५ की बातें हैं ! हम चार भाई एक ६ महीने की बहिन थी पापा के बिछुड़ने के कुछ ही दिनों के बाद मेरा चार साल का सबसे छोटा भाई जो हम सबमें अति सुन्दर था वह भी संसार छोड़ कर चला गया था ! मुझे मेरे छोटे मामा जी ले गए थे पढ़ाने के लिए ! वहीं मैंने 8वीं पास की थी, फिर बड़े मामा ने 10वींपास करवाई थी ! बड़े भाई जो केवल १४ साल के थे ने हल बैल सम्भाले, जब तक दादाजी रहे उन्हें खेती के गुर सिखाते रहे ! सं १९४७ में दादाजी भी संसार छोड़ कर चले गए ! लेकिन मेरी माँ ने अपना विवेक और धीरज नहीं खोया ! समय बदलता गया, मैं सेना में भर्ती होगया बड़े भाई ने खेती संभाली ! माँ बड़े भाई के साथ ही रहती ! फिर मैं माँ को मैं अपने ही साथ ले आया था, उन्हें दिल्ली, फैजाबाद भी घुमाया, इलाहाबाद में संगम पर भी स्नान करने का भी अवसर मिला ! छोटा भाई विजयसिंह एसएफए में भर्ती होकर भिलाई चला गया, माँ कभी कभी उसके पास भी चली जाती थी ! छोटी बहिन शांति भी अपने परिवार के साथ खुशः है, ये सब माँ के आशीर्वाद कला ही नतीजा है ! लोग आसमान के भगवान की पूजा करते हैं जो अदृश्य हैं, पर माँ रूप में साक्षात ईश्वर माँ है, इसी के चरणों में सुख है, वैभव है, जो जीवन देती है, पालन करती है माँ को नमन ! १९९८ चार नवम्बर को उन्होंने मेरी पत्नी की बाहों में आख़री सांस ली और स्वर्ग में पापा से मिलने चली गयी ! आज हमारे परिवार में बड़े भाई के चार लडके, २ लडकियां हैं, सब शादीशुदा हैं और खुश हैं, मेरे दो बेटे एक बेटी है आज अच्छी पोजिशन पर हैं ! छोटे भाई के भी दो बेटे एक बेटी अपने परिवार के साथ खुश हैं ! ये सब माँ के आशीर्वाद का फल है, माँ का जिंदगी के साथ का संघर्ष का ही फल है ! आज भी माँ के दुखों को याद करके आँखों में आसूं टपकने लगते हैं !
हरेंद्र रावत
फ्लेट नंबर २०४, प्लाट २४, सेक्टर १०
मास सोसाइटी द्वारका, दिल्ली -१1००७५

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