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तू गरीब बच्चों को देख मैं तुझे देख रहा हूँ – भगवान

jagate raho
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एक आदमी बाजार घूम रहा था,
‘मेरे लिए एक जोड़ी चपल और साड़ी लाना’,
बीबी ने कहा था !
उसने देखा दो भूखे बच्चे ललचाई नज़रों से,
ढाबे के बाहर पडी मेज पर
खाने की थाली देख रहे हैं,
भूख तो बड़े जोर की लगी है,
पर जेब में पैसे नहीं हैं !
उस आदमी ने बच्चों से पूछा,
क्या देख रहे हो ?
उन्होंने थाली की तरफ इशारा कर दिया,
आदमी ने दोनों बच्चों को खाना खिला दिया,
एक थाली स्वयं के लिए भी मंगवा लिया !
अब उसे चिंता सताने लगी,
ढाबे के बिल के बाद जो रकम बची,
उससे बीबी की चपल आएगी या साड़ी,
गर्दिश में पड़ने वाली थी गृहस्थी की गाड़ी !
सच्चे मन से उसने ऊपर वाले को पुकारा,
“प्रभु इज्जत बचा लेना,
खेल तो तूने ही रचा है सारा”,
ढाबे का बिल तस्तरी में रख कर सामने आया,
देखने से पहले दिल ने झटका खाया !
डरते डरते उसने बिल उठाया,
देखते ही गायब होगई चिंता की रेखाएं !
बिल में लिखा था, “हम भी तो आखिर इंसान हैं,
इंसानियत से पैसा नहीं लेते, बल्कि कुछ देते हैं,
ये तस्तरी चांदी की,
इंसानियत का इनाम है,
गौर से देखो इसमें तुम्हारा ही नाम है !
देख सामने क्या लिखा है, ‘तू गरीब बच्चों को देख
मैं तुझे देख रहा हूँ ‘ भगवान ” ! हरेंद्र अमेरिका से

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