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जीवन का हर पल, खिड़की खोल के झांक रहा है,
यादों को पुरानी सीने में छिपाए, कहीं पोटली खुल न जाए,
भूले बिसरे पल सामने न आजाएं,
पर पोटली खुल गयी देखो, ‘वरिष्ठों को कुछ बाँट रही है’ !
कब बचपन बीता, जवानी आई, सैना ने अपनी वर्दी पहनाई,
पिताजी बने, बच्चे थे नन्ने नन्ने, यही तो हैं यादों के पन्ने !
आज वे बच्चे पिताजी बन गए, और हम बन गए दादा !
देख भाल बच्चों की करेंगे, ‘ये था हमारा वादा’ !
आज हमारे सीने पर दो डिग्रियां लगी हैं,
फादर’स डे ग्रांड फादर’स डे,
हमें देख फूल ज्यादा ही मुस्करा रहे हैं,
ख़ूबसूरत पंखुड़ियां फैलाए इतरा रहे हैं,
पेड़ की डालियाँ,चरण स्पर्श करने नीचे आ रहे हैं !
आओ आशीष दें उन जवानों और बच्चों को,
जो हमें फादर’स डे के शुभ अवसर पर
प्यार मोहब्बत के पवित्र जल से स्नान करा रहे हैं,
हमारी भी “अपना रुतवा और पहचान है”, याद दिला रहे हैं !
शु भ कामनाओं के साथ -हरेंद्र – जागते रहो
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