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जब भगवान राम अपनी सैना लेकर समुद्र के किनारे पहुंचे तो सामने विशाल सागर उछालें भर रहा था जिसका कोई दूसरा किनारा नजर नहीं आ रहा था ! पूरी सैना चुपचाप उस विशाल समुद्र में ऊंची उठती हुई लहरों को देख रही थी और उस पार लंका जाने की योजना बना रही थी ! हनुमान जी ने देखा एक नन्नी सी गिलहरी छोटे छोटे घास के टुकड़े मुंह में भरकर समुद्र में डाल रही थी ! कुछ देर तक वे इस तमाशे को देखते रहे आखिर उत्सुक होकर हनुमान जी ने उसे पूछ ही लिया, “हे प्यारी नन्नी सी गिलहरी ये तू क्या कर रही है ?” वो नन्नी सी गिलहरी बोली, “मैं समुद्र बांधने का प्रयास कर रही हूँ ताकि भगवान राम की सैना सागर पार करके लंका में जा सके और माँ सीता जी को पापी रावण की कैद से छोड़ा ला सकें ! मैं जानती हूँ की मेरा यह नन्ना सा प्रयास मुझे मेरी मंजिल तक नहीं पहुँच पाएगा तो भी मैं प्रयास तो कर ही सकती हूँ !” उत्तर सुन कर हनुमान जी सहित भगवान राम और उनके प्रमुख सेनानायक बड़े प्रभावित हुए तथा पूरी सैना ने नन्नी सी गिलहरी को अपना आदर्श मानकर अपना प्रयास शुरू कर दिया ! उनकी मेहनत रंग लाई समुद्र पर पुल बंधा और सारी सैना सहित प्रभु राम ने लंका में प्रवेश किया ! आगे चलकर यही पुल “रामेश्वर” के नाम से जग प्रसिद्द हुआ ! http://images.a1webstores.com/rimages/catalog?largeImage=8187171278&id=134-253-198-53-77-8-97-12
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