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एक दिन सबको जाना है

jagate raho
jagate raho
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अमर नहीं यहां कोई भी,
इक दिन सबको जाना है,
भला बुरा रह जाता पीछे,
जिस्म मिट्टी बन जाता है !
नहीं रहे महा राणा प्रताप,
न शिवाजी वीर रहे,
न लक्ष्मी बाई ही रही,
न पृथ्वी राज चौहान रहे,
सुभाष भगतसिंह जैसे वीरों ने
अंग्रेजों के जुल्म सहे !
शहीद हुए जो मातृ भूमि पर,
इतिहास में अमर हुए,
फांसी दी इनको जिसने भी,
अंध कुंवे में पड़े हुए !
रह गयी सुभाष की वाणी है,
“मुझे खून दो मैं आजादी दूंगा”,
और सरदार पटेल थे बोले,
“सारे राज्य मिलाके भारत दूंगा” !
आज कुर्सी बचाने को,
हैं नेता धरती पे गिरे हुए,
भ्रष्टाचार के गंदे नाले
इनके किचन से जुड़े हुए,
अमर्जेंसी लगाई थी देश में,
संतों को पीड़ा पहुंचाई,
परिवारवाद के खातिर ही,
पीएम की कुर्सी हथियाई,
सब चले गए छोड़ के पीछे,
बौफ़र्स दलाली ज़िंदा है,
नेशनल हेराल्ड, दलाली,
रह गयी निंदा ही निंदा है !
जो आया सो जाएगा,
राजा रैंक फ़कीर,
पीछे रह जाएगा,
कर्मों की लकीर ! बन्दे मातरम ! भारत माता की जय !
जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल !

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