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आओ प्राणायाम करें ! पतांजलि योगपीठ – भारतीय योग संस्थान

jagate raho
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आओ प्राणायाम करें !
सुबह दोपर या शाम करें !
सुबह उठें, जल पान करें,
निवृति हो स्नान करें,
फिर योगा प्राणायाम करें !
प्राणयाम के लिए आसन पर बैठे, सिद्धासन या पद्मासन में,
कमर गर्दन सीधी हो, आँखें कोमलता से बंद, मन काबू अपनी साशों पर !
१. अग्निसार प्राणायाम – धीरे धीरे सांस भरे फिर धीरे धीरे खाली करें,
पेट को भीतर बाहर संचालन करें, मन ही मन में गिनती का सहारा लें !
धीरे धीरे समय बढ़ाएं ! पहले १५, फिर २०-25 तक ! कम से कम ३ से ५ स्ट्रोक तक रोज करें ! साशों को नार्मल करें !
भूख लगेगी, गैस हटेगी, सुस्ती नहीं रहेगी ! छोटी बड़ी आंतो पर मालिस होगी, वे मुलायम होंगे, प्रसालन क्रिया में आसानी होगी, पेट साफ़ रहेगा !
२. कपाल भाति – लंबा सांश लें, और केवल एक एक सेकिंड से बाहर फेंकते जांय, पेट का संचालन करें बाहर, भीतर ! पहले ज़रा मुश्किल लगेगा, फिर तो ३ से पांच मिनट तक भी लगातार कर सकते हो !
ये कपाल को चमकाने वाला प्राणायाम है, इससे याददास्त बढ़ती है, सिर दर्द, सिर का भारीपन नहीं रहेगा ! चिंता से मुक्ति होगी !
३. अनुलोम विलोम – दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिक बंद करें, बाईं नाक से लंबी सांश लें, दाहिनी नासिका खोलें और सांश बाहर करें, फिर इसी नासिका से सांश भरे बाईं नासिका से बाहर निकाले ! इसे भी पहले ३० सेकिंड करें फिर ३ मिनट तक बढ़ाएं !
दोनों फेफड़ों में बराबर ताज़ी आक्सीजन मिलेगी, दोनों नासिकाएं खुल जाएंगी, इस तरह सर्दी जुकाम से भी छुटकारा मिल जाता है ! फेफड़े संबंधी बीमारियों से मुक्ति मिलेगी !
४. भृष्टिका – (रेल के इंजिन की भांति) – सीधे बैठकर दोनों हाथों को ऊपर और नीचे लाएं साथ ही सांश भी लेना और छोड़ना है,पहले धीरे धीरे फिर जल्दी जल्दी, फिर सांश बाहरी कुम्भक में छोड़ कर सांत बैठ जायँ, थोड़ी देर इस अवस्था में रह कर फिर साशों को नॉर्मल कर लें !
इस प्राणायाम से शरीर के हर भाग में शुद्ध ऑक्शीजन पास होजाती है, इससे ताजगी आती है, रक्त प्रवाह तेज होजाता है, नस नाड़ियों में शुद्ध रक्त का तेज प्रवाह होने से दिल, दिमाग संबंधी कमजोरी दूर होती है !

Bhastrika practice can be considered as a combination of Kapalbhati and Ujjayi pranayama. The exhalation is similar to that in Kapalbhati and inhalation is similar to that done in Ujjayi pranayama. Once you have practiced Kapalbhati and Ujjayi, Bhastrika is easy. Bhastrika can be practiced both in the morning and evening. During summer, if the temperature is high, the practice should be restricted to mornings only. Bhastrika is an advanced practice and should be done on an empty stomach, after evacuation in the morning.  Those suffering from high  blood pressure and heart ailment should avoid this.

५. नाड़ी शोधन प्राणायाम – दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका बंद कर दें, बाईं नासिक से लंबा गहरा सांश भरे फिर बाईं नासिका को अनामिका अंगुली से बंद कर दें ! गिनती का सहारा लेकर पहले १० सेकिंड तक सांश बंद रखें, धीरे धीरे समय बढ़ाएं अपनी क्षमता से ! फिर धीरे धीरे से अंगूठे को हटाकर सांश दाहिनी नाक से धीरे धीरे बाहर निकालें, फिर इसी नासिका से धीरे धीरे सांश भरे, रोकें और बाईं नासिक से छोड़ें ! कम से कम तीन राउंड करें ! अनुलोम विलोम में सांश नहीं रोकी जाती हैं जबकि नाड़ी सोधन प्राणायाम में साशों को रोका जाता है ! रक्त की शुद्धी होती है, प्राणों का विस्तार होता है, हमारी साशों का बैंक बैलेंस बढ़ जाता है, वाक् करने और दौड़ लगाने में सांशे जल्दी अनियंत्रित नहीं होती, न सांश लेने में असुविधा होगी !
भ्रामरी प्राणायाम – दोनों अंगूठों से दोनों कानों को बंद करें, लंबा सांश ले और गले से आवाज करें ‘भँवरे की तरह, अपने इमेज में बगीचे में खिले फूल और उस पर झुलाते हुए भँवरे की गुंजन की कल्पना करें, भँवरे की नक़ल करें ! कम से कम पांच राउंड रोज करें !
लाभ – ध्यान एकाग्र होता है, गले संबंधी तकलीफें दूर होती है, कुदरत से नजदीकी बढ़ती है ! स्वर मधुर बन जाता है !
Alternate Nostril breathing is a beautiful breathing technique that helps keep the mind calm, happy and peaceful by just practicing it for a few minutes. It also helps release accumulated tension and fatigue. The breathing technique is named Nadi Shodhan, as it helps clear out blocked energy channels in the body, which in turn calms the mind.
(nadi = subtle energy channel; shodhan = cleaning, purification; pranayama = breathing technique)

उज्जई प्राणायाम – इस प्राणायाम में मुंह बंद कर जीभ को ऊपर तलवे पर टिकाते है, सांश खाली करके ऊपर को गले से लंबी आवाज निकालनी होती है, फिर सांश निकाल कर दुबारा तिबारा करें, ऊपर सांश खींचना होता है अपनी क्षमता के मुताबिक़ ! पहले जरा कठिनाई होती है, फिर सरल बन जाता है ! इसको भी पहले ३ राउंड फिर रोज ५ तक करें !
लाभ – गले संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है ! आवाज खुलती है ! शरीर के सारे आरगन्स को पावर मिलती है ! It frees body from toxin and help to take sufficient amount of oxygen to build vitality in the body. It helps to control blood pressure and thyroid problems.

सीतलि प्राणायाम – इसके लिए मुंह से सांश भरें और नाक से बाहर निकाले ! कम से कम ५ से १० बार करें !
लाभ – इस प्राणायाम को गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है !
ध्यान रखने वाली बातें – हमारी दो नासिकाएं हैं, दाहिनी नासिका को पिंगला (सूर्य} नाड़ी कहते हैं, बाईं नासिका, इड़ा (चंद्र} नाड़ी कहलाती है ! इनमें थोड़े समय के लिए एक नाड़ी बंद रहती है ! जब दोनों नाड़ी खुली रहती है और आराम से सांश लेती हैं, सुषमा नाड़ी कहलाती है ! इनका समंध फेफड़ों के अलावा, दिमाग और दिल से भी जुड़ा है ! गर्मियों के दिनों में शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए, सांश चंद्र नाड़ी यानी बाईं नाक से लेते है और दाहिनी नाक, (सूर्य) नाड़ी से बाहर फेंकते हैं, सर्दियों में इसका उलट, दाहिनी नासिका से सांश लेकर बाईं नासिका से बाहर फेंकते हैं !

आखिर में गालों को तरोताजा करने झुरिर्यों से मुक्ति के लिए, दोनों अंगूठों से दोनों नासिकाओं को बंद कर दें, मुंह से सांश भरे दोनों गालों को गुब्बारे की तरह फुलाएं, कुछ देर रोकें, फिर नासिकाओं से अशुद्ध हवा बाहर निकालें ! कम से कम ३ और ज्यादा से ज्यादा ५-७ बार रोज करें !
सारे प्राणायाम ध्यान मुद्रा से शुरू करें और ध्यान मुद्रा में समाप्त करें !
ध्यान मुद्रा = कमर गर्दन सीधी करके आसन पर बैठें, दोनों हाथों को अपने जंघाओं में रखें, दोनों हाथों की पहली अंगुली तर्जनी के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिलाएं ! बाकी अंगुलियां सीधी रखें ! ध्यान माथे पर, आँखें कोमलता से बंद ! कम से कम ३ से ५ मिनट तक इस मुद्रा को करें !

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