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अमेरिका से वापिसी

jagate raho
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इस साल हमारा अमेरिका प्रवास केवल तीन महीने का रहा ! अमेरिका के क़ानून के तहत आपको एक टाइम ६ महीने तक रहने की इजाजत मिल जाती है ! सितंबर २००३ से हम दोनों पति पत्नी हर साल अमेरिका जा रहे हैं ! कुछ वर्षों को छोड़ कर हम वहां से ६ महीने पूरा करके ही वापिस आ रहे हैं ! मौसम बड़ा सुहाना था, शनिवार और रविवार बच्चों की छुट्टी रहने के कारण हम शुक्रवार को ही न्यूयार्क से दूसरे प्रदेशों में चले जाते थे, या तो समुद्र के सीने को चीरते हुए मोटर वोट का लुफ्त लेते थे या फिर कुदरती चश्मों के साथ साथ ऊंचाई नापते हुए पीठ पर हैकिंग का बैग लटकाए पहाड़ी पर चढ़ जाते थे ! वरमॉन्ट में पहाड़ी के ऊपर लम्बा चौड़ा खूबसूरत मैदान है, काफी बड़ी झील है ! सबसे पहले हम सितंबर २००३ में यूटा गए थे, यूटा तो अपने आप में कुदरत की सारी सम्पदाओं से सम्पन है ! वहां वर्फ़ खूब पड़ती है, विंटर ओलंपिक यहां का मुख आकर्षक है, ! यह प्रदेश अमेरिका के पश्चिम में पड़ता है, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लास ऐंजिल्स है जो केलिफोर्निया में पड़ता है, यहां से डॉमेस्टिक एयर लाईन्स से यूटा के लिए बदली करनी पड़ती है ! यूटा में जग प्रसिद्द साल्ट लेक (झील) है ! यहां के तमाम नदी नाले इसी झील में आकर मिलते हैं ! इस प्रदेश की भौगोलिक आकृति ऐसी है की यहां का पानी स्टेट से बाहर नहीं जाता ! यहाँ सूर्यास्त का नजारा बहुत आकर्षक है ! झील से स्थानीय लोग नमक का उत्पादन करते हैं ! साल्ट लेक सिटी चारों और से बड़ी बड़ी पहाड़ियों से घिरा हुआ है ! बाहर से रूखी लगने वाली पहाड़ियों के अंदर प्रदेश सरकार ने स्थानीय लोगों की सहायता से इन पहाड़ियों के अंदर प्राकृतिक सुरंगों को तरास कर और संवार कर इतना आकर्षक और सुन्दर बना दिया की पर्यटक हर मौसम में इन गुफाओं को देखने के लिए आते हैं ! हमने भी देखी हैं ये गुफाएं ! गुफा से बाहर गर्मी थी लेकिन इन गुफाओं में तैनात प्रबंधक/कर्मचारी हर पर्यटक को भीतर की ठंडी के बारे में पहले ही आगाह कर देते हैं, ताकी गुफा के अंदर जाने वाले सारे सैलानी गर्म जैकेट के साथ ही अंदर प्रवेश करें ! गुफा दिखाने ओर गुफा के बारे में जानकारी देने के लिए गाइड भी होते हैं, जो हर जानकारी तथा वहां की विशेषताओं के बारे में हर सैलानी को बताते हैं ! वहां भीतर पर्वत के हर हिस्से से एक मोम जैसा रासायनिक पदार्थ बूँद बूँद बन कर टपकता है जो लाल, पीला, हरा नीला सभी रंगों में होता है ! वह टपकते टपकते अलग अलग तरह के इमेज बना देते हैं जैसे, फूल, पत्ती , दिल और बहुत सारी कुदरती सौगात ! ये इमेज फिर पिघल जाते हैं, ये सिलसिला चलता ही रहता है ! दो तीन घंटे हमने उस गुफा में बिताए और एक अविस्मरणीय यादों का भण्डार लेकर हम बाहर निकले ! यूटाह का रास्ता वर्फ़ के कारण बंद था, हम लास ऐंजेल्स चले गए ! यहां राजेश का आई आई टी का रूम मेट, खान रह रहा था, उसी के घर पर रहे ! यहाँ पैसीफिक महासागर के किनारे समुद्र की गगन चूमती ;लहरों को उठते गिरते देखा, बांसो से भरे जंगलों में पहाड़ों से निकले चश्मों के आर पार फ़िल्मी अभिनेता और अभिनेत्रियों के बंगले हैं ! कभी कभी ये हीरो हीरोइनें फिल्मों में ऐक्टिंग करते रह जाते हैं और पीछे से बांसों के आपस में टकराने से इलाकें में आग लग जाती है और बहुत बार इन फ़िल्मी ऐक्टरों के बंगले जल कर राख होजाते हैं ! मालूम करने से पता चला की इनके ये बंगले इन्सुरेन्स के दायरे में होते हैं इसलिए इन लोगों को कोइ आर्थिक नुकशान नहीं होता ! एक हफ्ता केलिफोर्निया, लास बेगस, जैसे खूबसूरत स्थानों की यादों को संजोकर हम वापिस यूटाह चले गए थे ! २००५ में मैं मार्च के महीने में अकेला अमेरिका गया न्यूयार्क, लॉन्ग आइलैंड, मेलविल में ! यह अमेरिका की सबसे धनी, और प्रमुख प्रांतों में अग्रगणी स्टेट है ! अमेरिका के पूरबी किनारे पर, अटलांटिक सागर के किनारे स्थित है ! राजेश की पोस्टिंग न्यूयार्क होगयी थी ! इस समय तक मेरा पोता आत्रेया डेढ़ साल का होचुका था ! पत्नी जौलाय में न्यूयार्क पहुँची और मैं अगस्त में वहां से दिल्ली आगया था ! यहां दिल्ली में ७ अप्रैल को, दूसरे बेटे बृजेश-बिन्दु की पुत्री आर्शिया का जन्म हो चुका था तो दादी को जौलाय तक दिल्ली में रहना पड़ा और उसके बाद मैं दिल्ली आगया था ! यहां का न्यूयार्क सिटी “मैनहटन”, विश्व प्रसिद्द है, जहां संयुक्त राष्ट्र संघ का हेडक्वार्टर है, मल्टीस्टोरीज इम्पायर बिल्डिंग है तथा जहां विश्व व्यापार केंद्र की दो गगन चूमती इमारतों को आतंकवादियों ने ११ सितंबर १९९३ में धरासाई कर दिया था ! ओसामा विन लादिन मुख्य आरोपी था जिसे बाद में अमेरिकी सुरक्षा कमांडों ने पाकिस्तान में जाकर मारा था ! अमेरिका पाकिस्तान को हर साल करोड़ों डालरों की खैरात देता है ताकि पाकिस्तान के हुक्मरान अपने देश का विकास कर सकें, बदले में पाकिस्तान ने उन आतंकियों को अपने देश में पनाह दी, उन्हें छिपा कर रखा अपनी सैना से सुरक्षित रखा जिसने अमेरिका न्यूयार्क में विश्व व्यापार केंद्र की दो बिल्डिंगों को नष्ट किया, वहां काम करने वाले हजारों लोगों को मौत के आगोश में सुलवा दिया था ! फिर भी बेशर्म होकर पाकिस्तान आज भी भीख का कटोरा लेकर अमेरिका के दरवाजे पर पहुँच जाता है ! और अमेरिका, यह जानते हुए भी की पाकिस्तान ने जान बूझकर आतंकवादी सरगना ओसमान विन लादिन को अपनी सैना की सुरक्षा में रखा था, फिर भी दया करके उसके कटोरे में आज भी कुछ न कुछ डाल ही देता है !

हम पति पत्नी हर साल ६ महीने के लिए अमेरिका जाते हैं वहां से कभी कनाडा की सीमा पर नागरा फौल कुदरत की खूबसूरत सृष्टि का अवलोकन करने चले जाते हैं, तो कभी अटलांटिक सिटी में कैसीनो मशीन के साथ समय का सदुपयोग करते हैं ! कभी कभी मैनहट्टन सिटी जाकर विश्व प्रसिद्ध ११० मंजिली एम्पायर स्टेट बिल्डिंग की ८oवीं मंजिल से सारा सिटी के साथ साथ, स्टेच्यू आफ लिबर्टी और विशाल अटलांटिक महासागर की गगन चूमती लहरों का आनंद लेते हैं ! सारे विश्व की कला संस्कृति, हर देश की बनी दस्तकारी से लेकर नए नए मौडल, बच्चों के खिलौनों से लेकर डायनासोर के कही किस्मों के विशालकाय आकृतियां वहां देखने को मिलती हैं ! कभी अमेरिका की राजधानी, विल्लिंग्टन डीसी जाकर राष्ट्रपति भवन को देखने का आनंद उठाते हैं ! यहां कुछ ऐसी स्टेट भी हैं जहां विशाल ह्वेल और सील मच्छलियों को दोस्त बनाकर उन्हें सिखाकर उनसे बहुत से हैरतगंज करतब करवा कर दर्शकों का मनोरंजन करते हैं ! कहीं वाटर गेम, मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के ऊपर पानी से भरी भारी भरकम टंकी, उससे पानी की धार नहर की आकृति में बड़ी तेजी से नीचे आती है तथा रबर की नावों में शैलानी बच्चों के साथ हिचकोले खाते हुए इस धारा के साथ ८-९ मंजिलों की इमारत के घुमावदार रास्ते को पार करके नीचे तालाब में आते हैं, नाव उलट जाती है और तालाब से स्विमिंग करते हुए लाइव गार्ड की सहायता से शैलानी बच्चों के साथ वाटर गेम का मजा लेते हैं ! समुद्र की विशाल जल राशि में मोटर बोट में सैर करने का मजा ही कुछ और है ! एक बार अटलांटिक समुद्र की लहरों में खेलते हुए आँखों का चस्मा पानी में गिर गया और लहर उसे वापिस गहरे सागर की ओर ले गयी, सोचा ‘इस चश्मे की सर्विस शायद इतनी ही रही होगी’ ! वैसे अमेरिका जाते हुए मैंने यह सबसे मंहगा चस्मा बनवाया था ! चमत्कार देखिये, समुद्र की दूसरी लहर आई मेरे चश्मे को लेकर और मैं अभी तक पानी में ही खड़ा था, झपट के पकड़ लिया ! आज भी ये चस्मा मेरे पास है, लेकिन अब मुझे हर वक्त चश्मे लगाने की जरूरत नहीं पड़ती ! इस चश्मे के साथ एक और हादसा भी हुआ था ! उस साल इंडिया आकर अचानक प्रोग्राम बना वृन्दावन जाने का ! वृंदा वन मार्केट में हम परिवार के साथ घूम रहे थे, मैंने चस्मा पहन रखा था, अचानक एक पेड़ से उत्तर कर एक बड़ा बंदर नीचे आया और मेरे बिना नोटिस के मेरे कंधे पर बैठ गया ! उसने बड़ी तसल्ली से मेरे आँखों से चस्मा उतारा और जब तक मैं समझ पाता छलांग मार कर पेड़ पर चढ़ गया और मेरी प्रतिक्रया देखने लगा ! मुझे देखकर मेरे चश्मे को दांतों में लेकर यह दिखाने लगा की मैं इस चश्मे को तोड़ने जा रहा हूँ ! मैं सोच रहा था ‘अरे भाई, मैं इस चश्मे को अटलांटिक सागर की लहरों से बचाकर लाया हूँ’ शायद अब नहीं बच पाएगा ! एक लोकल मुझे बोला, ‘इसे कुछ खाने को देदो, यह चस्मा सही सलामत दे देगा’ ! मैं दूकान से एक ब्रेड पकोड़ा खरीद लाया, बन्दर को इशारे से बुलाया, वह नीचे आया, मुझे मेरा चस्मा पकड़ाया और मेरे हाथ से ब्रेड पकोड़ा लेकर वापिस पेड़ पर चढ़ गया !
यहां अमेरिका में बहुत सारे हिन्दू मंदिर हैं, गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर, साईं बाबा मंदिर, आर्य समाज मंदिर, पवन धाम के नाम से हनुमान मंदिर ! मंदिरों में हर रविवार को पूजा रचना होती है बड़ी संख्या में लोग पूजा में सामिल होते हैं, और सबको लंच खिलाकर ही विदा किया जाता है ! हर रविवार को लंगर चलता है ! कृष्ण जन्माष्टमी, राम नवमी, दशहरा और दीवाली भी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है शांति पूर्वक ! शिकागो में विवेकानंद जी का स्टेच्यू ! दो बार मंदिर में दो शब्द कहने का शुभ अवसर भी मिला ! इसके अलावा कई गुरुद्वारा भी हैं जहां सेवाभाव का पाठ पढ़ाया जाता है ! वहां राजपूतों का एक बड़ा संगठन भी है और सालाना उनकी जनरल बॉडी मीटिंग भी होती है ! इनके जो अध्यक्ष हैं वे कानपुर के रहने वाले हैं और अब अमेरिका के ही नागरिक बन गए हैं नाम है शेर बहादूरसिंह ! न्यूयार्क में ही उनका निवास स्थान है, आद्या प्रशाद सिंह जी जो लॉन्ग आइलैंड मेलविल में हमारे पड़ोसी थे, उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर के रहने वाले हैं, उनके द्वारा शेर बहादूर जी से भी मुलाक़ात हुई और समंध इतने गहरे हुए की जब भी अमेरिका जाना होता उनसे जरूर मिलता और उनकेघर में बना ताजा ताजा पिज्जा खाने का मजा लेता ! राजपूत मीटिंग का एक वसूल है की चर्चा होने के पहले वे लोग पंडित जी को बुलाकर मान भगवती की पूजा करवाते हैं ! अगर मैं अमेरिका में होता हूँ तो वे मुझे भी परिवार सहित मीटिंग में बुलाते हैं ! उस साल मीटिंग के दिन पंडित जी नहीं मिले तो ये जिम्मेवारी शेर बहादूर जी ने मेरे ऊपर डाल दी, भगवती की कृपा से पूजा अच्छी प्रकार हुयी और सदस्यों को पंडित जी की कमी महसूस भी नहीं हुई !

खट्टी मिट्ठी यादगारों की पोटली दिल में सुरक्षित रखते हुए, ११ सितंबर २०१६, रविवार के दिन मैं पत्नी के साथ न्यूयार्क कैनेडी अंतरराष्ट्रीय एयर पोर्ट से लुफ़्तांसा एयर लाइन से स्वदेश के लिए रवाना हुए ! मंगल १३ सितंबर को सुबह दिल्ली पहुंचे ! एयर पोर्ट पर छोटा बेटा बृजेश इन्तजार कर रहा था उसके साथ ठीक ९ बजे द्वारका अपने निवास स्थान पर सकुशल पहुँच गए थे ! हरेन्द्र

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