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मधु से मधु प्याला तक

jagate raho
jagate raho
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दो घूँट मधु के, गले उतरे,
मधु प्याला पर फिर नजर पडी,
जैसे जन्नत की सुरबाला,
डुबकी लेने मधु में हैं खड़ी ! १ !
मैं पवन का झोंका बनकर के,
छूने की कोशिश करता हूँ,
उनके गुलाबी गालों को,
अपने ख्यालों में रखता हूँ ! २ !
मधु के इस सागर से मेरा,
मन मयूर मुस्काता है,
मधु का प्याला ओंठो पर,
आने से घबराता है ! ३ !
पर जिह्वा मधु की है प्यासी,
मधु प्याला पर ललचाती है,
‘अरे ओंठ पर इसे लगाओ’,
कह करके लपलपाती है ! ४ !
मैं सुंदरता का हूँ पुजारी,
मधु प्याला से नजदीकी है,
पर जब ये दोनों साथ खड़े,
मधुबाला लगती प्यारी है ! ५ !
कहते हैं मधु में नशा बड़ा,
पीने से चढ़ जाता है,
मेरा नशा मधुप्याला में,
हुस्न परी पे आता है ! ६ !

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