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एक हंसी दो मुझे, एक हंसी लो,
हंसना है जिंदगी, हंसना सीखलो !
दीयों की जग मग अँधेरा भागता,
इन्तजार लक्ष्मी का भक्त जागता !
जगमगाते दीयों को, नैनों में बसालो,
हंसना है जिंदगी हंसना सिख़लो !
कार्तिक की अमावस रात है काली,
दीयों की जग मग, हैप्पी दिवाली !
लक्ष्मी की सवारी उल्लू आ रहा,
दियो की रोशनी उसे भी भा रहा,
जगमगाती रोशनी स्वच्छता जहां,
चरण चिन्ह लक्ष्मी के पड़ रहे वहां !
जुवारियों का अड्डा है जहाँ जहां,
उल्लू बनाने उन्हें उल्लू हैं वहां वहां !
फूलों के बीच में है बाग़ का माली,
दीयों की जग मग हैप्पी दिवाली ! २ !
दिवाली मिलन
दस सेक्टर के पार्क में, जमा हुए सब लोग,
कोई जिम, कसरत करते, कोई करते योग,
कोई करते योग, यहां दिल से दिल मिलेंगे,
बाग़ बगीचों में, नयी पीढ़ी के फूल खिलेंगे !
कहे ‘रावत’ कविराय’, ये दिवाली प्रदूषण नहीं बढ़ाएगा,
द्वारका इस बार, बम पटाके, न चीनी बल्लब जलाएगा !
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