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५०० – १००० के नोट बंद – कालेधन पतियों को जान लेवा खुजली

jagate raho
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जिनको राजनीति नहीं आती वे जनता के आगे ड्रामावाजी करके अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं ! राहुल गाँधी की पार्टी जब सता में थी, इन्हें न किसान याद आये न भूतपूर्व सैनिक, न किसी गरीब की चीत्कार ही इनके कर्णपटों से कभी टकराई ! इन्हें लगता था की सता का भोग तो खानदान का जन्मजात अधिकार क्षेत्र में आता है ! इनके दादी और दादी के पापा ने स्वतंत्रता के बाद पहला काम भारतीय सैना की छटनी करके फ़ौज की संख्या यह कहते हुए की हमारा देश शान्ति प्रिय देश है, हमारा कोइ दुश्मन नहीं है, हमें आर्मी की जरूरत नहीं है ” ! १९५६-५७ में जाकर इन दिनों के समाचार पत्रों पर नजर डालकर देखिए, इन्द्रा जी के भाषणों को पढ़िए जब वे कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष थी ! उनहोंने कहा था की देश की सैना को देश के विकास कार्यों में हाथ बंटाना चाहिए ! १९६१ की समाप्ति तक न भारतीय सैना को ट्रेनिंग करने का मौक़ा मिला, न नए हथियार और उपकरण ही उन्हें दिए गए ! मैं उन दिनों राजपुताना राईफल्स की एक यूनिट के साथ जम्मू काश्मीर के बॉर्डर इलाका रणवीरसिंह पूरा में सेवारत था ! उन दिनों की बनी तमाम कैंटोमेंट एरिया की सड़कें और बिल्डिंगें फौजियों की ,मेहनत का जीता जागता उदाहरण है ! नतीजा १९६२ में चीन ने भारतीय नेताओं / शासकों को सैना की अहमियत का अहसास करवा दिया था, पूर्वी हिस्से को अपने अधिकार क्षेत्र में लेकर, जिसे कांग्रेस सरकार अपने कार्य काल में वापिस नहीं ले पायी ! १९७१ में पाकिस्तानी सैना की कमर तोड़ कर भारतीय सैनिकों ने उनके करीब एक लाख सैनिकों और अधकारियों को युद्ध बंधी बनवाकर पाकिस्तान के बहुत सारे इलाको पर कब्जा करके तिरंगा फहरा दिया था ! ऐवज में सैना को क्या मिला, पेंशनरों की पेंशन कट कर आधी कर दी गयी ! तब से ‘एक रैंकऔर एक पेन्शन’ की मांग कांग्रेस अधिकृत रक्षा मंत्रालय की आलमारियों में ठन्डे बस्ते में पडी रही ! १९८७ में भूतपूर्व सैनिकों की एक विशाल रैली का आयोजन किया गया था जिसमें सामिल होने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय राजिव गांधी जी को आमंत्रित किया गया था ! पहले उनहोंने हाँ भी भर ली थी, उनके प्रचार प्रसार पर उन दिनों के दो-ढाई लाख रूपये खर्च किये गए थे लेकिन ऐन मौके पर उनहोंने आने में अपनी असर्मथता व्यक्त करदी थी ! उसके बाद अटल जी के कार्य काल में कारगिल युद्ध के कारण इस विषय पर चर्चा नहीं हो पाई ! २००४ से २०१४ के बीच भूतपूर्व सैनिक और पदाधिकारी कांग्रेस के तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहनसिंह जी से वन रैंक वन पेंशन के ऊपर चर्चा करने के लिए समय की मांग करते रहे लेकिन सुरक्षा कर्मी बाहर बाहर से यह कह कर वापिस कर देते थे की “प्रधान मंत्री किसी अन्य जटिल समस्या के समाधान में बिजी हैं, कभी दूसरे दिन आना” ! और वह दूसरा दिन कभी नहीं आया ! उन दिनों राहुल गांधी बिना किसी पोर्ट पोर्टफोलियो के भी सरकार में, सोनिया जी (कांग्रेस अध्यक्षा) के लाडले होने के कारण, कैविनेट मंत्री की सैसियत रखते थे ! उन दिनों इन्हें भूतपूर्व सैनिक याद नहीं आए ! आज जब की नरेन्द्र मोदी जी ने दो सालों के अंदर अंदर ४५ सालों से ठंण्डे बस्ते में पड़ा हुआ ‘ये वन रैंक वन पेंशन की मांग’ का मसला बाहर निकाल कर उसकी धूल झाड़ कर मानी ही नहीं लागू भी करवा दी ! सरकार की तरफ से हर भूतपूर्व सैनिक को उनकी सर्विस और रैंक के हिसाब से पेंशन चार्ट सम्बंधित बैंकों को भेजा जा चुका है, बहुतों को तो इसका लाभ मिल भी गया है ! कुछ सैनिकों की पेंशन बैंक वालों की गलती से रिलीज नहीं हो पा रही है, इसकी जांच चल रही है ! अब राहुल गांधी को किसान भी याद आगये और फौजी पेंशनर भी क्यों की कांग्रेस को आने वाले विधान सभा चुनावों में फिर ड्रामावाजी के सहारे जनता का दिल जितना है !
चाहे ये राहुल गाँधी हो या केजरीवाल, इनको किसी फौजी पेंशनर से कुछ लेना देना नहीं है, इन्हें केवल जनता को गुमराह करके अपना टेढा उल्लू सीधा करना है ! आने वाले विधान सभा चुनावों में अपनी बिगड़ी हुई तस्वीर से गर्द हटानी है ! लेकिन जनता जान गयी है इन ड्रामा वाजों को की ये देश की तरकी नहीं अपनी तरकी कर रहे हैं, कालाधन जमा करके ! इसी काले धन को मोदीजी ने बाहर निकालने के लिए ५०० और १००० के नॉट बंद करवा दिए हैं ! आम जनता को राहत मिलने के लिए ! जनता जानती है की अच्छे काम के लिए कुछ दिन परेशानी उठानी पड़ती है और वे बैंकों के आगे लंबीचुनाव मदें बांटने के लिए रखा था लंबी लाइन लगाकर अपने नंबर का इन्तजार कर रहे हैं साथ ही मोदीजी के इस शुभ काम के लिए बधाई दे रहे हैं ! इस शुभ काम के लिए एक मात्र मुख्य मंत्री जो भ्रष्टाचार और कालेधन का शक्त खिलाफ है, बिहार का मुख्य मंत्री नितीश कुमार जिसने भ्रष्टाचारी अपने सहयोगियों की भी नहीं सुनी और मोदी जी का खुल्ला समर्थन किया है ! आज केवल मोदीजी को बुरा भला वही राजनीतिज्ञ कह रहे हैं जिनके घरों के अंदर असीमित कालाधन ५०० और १००० नोटों के रूप में बोरियों में भरा पड़ा है ! इन काला धन वालों को सरकार ने अपने काले धन को बैंकों में जमा करके सफ़ेद करने का अवसर दिया था ६० दिन का,. काफी सजग देश प्रेमी नागरिकों ने अपना धन सफ़ेद करवा दिया था, लेकिन पंजाब, यूपी और कुछ अन्य स्टेट के नेताओं ने चुनाव जीतने के लिए अरबों रूपये मतदाताओं में बांटने के लिए ५०० और 1000 रूपयों के नोटों के रूप में रखे थे, उन्हें ज्यादा खुजली हो रही है, वही नेता लोग मोदीजी को गाली दे रहे हैं, सीमा से बाहर जाकर अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं ! एसपी , बीएसपी, कम्युनिष्ट, कांग्रेस, केजरीवाल, ममता, मायावती, दबी आवाज में लालूजी जैसे राष्ट्रीय स्तर के नेता इस अचानक के इंजेक्शन से बौखला गए हैं ! जनता को गुमराह करने के लिए नए नए हथकंडे अपना रहे हैं ! लेकिन आज की जनता पढ़ी लिखी है, झूठे और ड्रामेवाजों को खूब पहचान चुकी है ! आज तक बैंकों में करीब १० लाख करोड़ रुपया जमा हो चुका है ! कालाधन पर बैन लगने से प्रॉपर्टी के दाम काफी नीचे आगये हैं, बैंकों से लोन लेने पर ब्याज भी कम देना पडेगा ! ! सबसे अहम् फायदा देश की ईमानदार गरीब जनता को होगा, २०१४ तक गरीबी काफी निम्न स्तर पर पहुँच गया था, अब ऊंचा उठने लगेगा, हर किसी को उसकी शिक्षा और तजुर्बे के मुताबिक़ नौकरी मिलेगी ! किसानों को उनकी मेहनत का पूरा लाभ मिलेगा ! नकली नोटों का धंदा बंद हो जाएगा ! अभी तक काले धन से ही देश में आतंकवाद पल रहा था, वह ख़त्म हो जाएगा ! आतंकियों और नक्षलवादियों को पैसा नहीं मिलेगा तो वे हथियार गोला बारूद नहीं खरीद पाएंगे, भूखे पेट कौन आतंकियों का साथ देगा, देश में फिर से शांति का माहौल हो जाएगा ! कुते भूँकते हैं, कौवे कौव कौव करते हैं, लेकिन हाथी न अपनी चाल बदलता है न रास्ता ही बदलता है ! इसी तरह मोदीजी अपने इरादे के पक्के हैं, अपनी मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे, देश की जनता उनके साथ है ! हरेन्द्र

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