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देश के विपक्ष का महागठबंधन, घड़ा चौराहे में जाकर फुट गया !

jagate raho
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नरेन्द्र मोदीजी ने प्रधान मंत्री बनते ही अपने को जनता का सेवक बता कर देश की जनता को संदेश दे दिया की मैं विकास की सीढ़ियां चढ़ा कर, भारत को फिर से विश्व गुरु की गद्दी पर बिठाऊंगा ! उन्होंने दो सालों के अंदर अंदर बहुत से ऐसे कार्य किये जिसके बारे में कांग्रेस जैसी पार्टी के लोग जो करीब ६० साल तक देश की गद्दी पर बैठकर अपने परिवार, रिश्तेदारों और चमचों को समृद्ध करते रहे और देश को कंगाल करते रहे , सोच भी नहीं पाए थे ! ८ नवबम्बर एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जिस दिन प्र्धान मंत्री श्री मोदीजी ने कालाधन पर अंकुस लगाते हुए कालाधनपतियों, भ्रष्टाचारियों, रिश्वतखोरों और जमाखोरों के होश उड़ा दिए थे, ५०० और १००० रुपयों के नोटों को बंद करने का आदेश देकर विपक्ष में बैठे नेताओं की नींद भूख उड़ दी ! बहुतों के तो ब्लड प्रेशर बढ़कर खतरे की लाइन तक पहुँच गया था ! नए आदेशों के मुताबिक़ २४ नवम्बर तक हजार और पांच सौ के नोट बदले जाते रहे, एक आदमी एक दिन में केवल ४००० -४५०० तक के नोट बदली कर सकता था ! जमाखोरों ने बड़ी संख्या में अपने चम्मचों मजदूरों को लाईनों में खड़ा करके चार पांच दिनों में काफी नोट बदली करवा लिए थे, लेकिन कालाधन जो घर की तिजौरियों में पड़ा था, लाखों में नहीं करोड़ों अरबों में था ! यूपी, पंजाब में विधान सभा के चुनाव अगले साल आ रहे हैं, पार्टियां नकद जमा पूंजी वोटरों को रिझाकर अपना वोट बैंक बनवाने के लिए अपने घरों में रखे थे ! इधर लाइनें लंबी लंबी होती चली गयी, जो लोग सही थे, उनके नंबर आते आते तक बैंकों में कैश खत्म होजाता था, बहुत सारे गरीब, वृद्ध, वरिष्ठ नागरिक मायूस होकर लौट जाते थे, सुरक्षा कर्मियों ने जांच में पाया की लाइनों में बहुत सारे असामाजिक तत्व धनपतियों और नेताओं के पुराने नोट जमा करवाने के लिए बैंकों में भीड़ लगा रहे है ! नोट बदली करवाने वालों की अँगुलियों में निशान लगवाया जाने लगा ताकि वही लोग दूसरे बैंकों से फिर से नोट बदली न कर पाएं ! कुछ लोग परेशान नजर आए लेकिन ९०-९३ प्रतिशत आम आदमी मोदीजी के इस ऐतिहासिक कदम से बहुत खुश हैं ! देश की अर्थ व्यवस्था इन कालाधन पतियों, जमाखोरों के कारण काफी प्रभावित होती जा रही थी, मंहगाई बढ़ रही थी, आतंकवादियों, नक्शल पंथियों, मावोवादियों को कालाधन से फंडिंग किया जा रहा था ! जम्मू काश्मीर में सुरक्षा कर्मियों के ऊपर पत्थर फेंकने वालों को अलगाववादी इस काले धन से ही पैसे दिया करते थे, अब पुराने नोट बंद होने से नक्शल पंथी बड़ी संख्या में पुलिस स्टेशनों में जाकर आत्मसमर्पण करने लगे हैं ! पत्थरवाजी बंद होगयी है !
मोदीजी के इस कदम से एक बार तो सारा विपक्ष विरोध में महागठबंधन बनाकर एक खेमे में इकठ्ठा होगया था, इन सब ने अपने अपने ढंग से जनता को बरगलाने के लिए हथकंडे अपनाए, नोटबंदी के सरकार के फैसले के खिलाफ रैलियां निकाली गयी, जाम लगाया गया, जंतर मंतर पर इकट्ठे होकर भूख हड़ताल का ड्रामा किया गया ! भारत बन्ध का आह्वान किया गया ! राहुल जैसे लोग तो नोट बदलवानों के साथ बैंकों के आगे लाईन में भी खड़े हुए , जनता की सिमपैथी लेने की भरसक कोशिश की गयी, सरकार के खिलाफ नारे लगाए गए, संसद में हंगामा करके संसद की कार्यवाही नहीं चलने दिया, ममतगा बनर्जी, केजरीवाल ने मिलकर भारत बंध का ऐलान किया, केंद्रीय सरकार को तीन दिन के अंदर नोट बंदी का फैसला वापिस लेने का नोटिस भी दिया ! अन्य विपक्षी पार्टियों से सहयोग भी माँगा, लेकिन जनता के रुख को देखते हुए कोइ पार्टी सामने नहीं आई ! ममताजी ने कलकत्ता में बंध पर लडडू बांटे , जनता ने लडडू खाए और छूमंतर हो गए, ममता-केजरीवाल द्वारा भारत बंद के गुबारे की हवा निकल गयी ! बंगाल में चिट फंड घोटाला काण्ड अभी अभी ताजा ताजा है, केजरीवाल जी के ड्रामावाजी को जनता खूब देख चुकी है, अब जनता काम चाहती, विकास चाहती है, ड्रामा नहीं देखना चाहती ! इन लोगों ने गरीबों, मजदूरों और किसानों के नाम पर राजनीति खेलने की तैयारी की थी, नोट बंदी से आम आदमी के ऊपर कोई असर नहीं पड़ा, खेतों में हल उसी तरह लग रहा है, सडकों पर रिक्शे और टैम्पू नियमित तौर पर चल रहे हैं, सड़कों के किनारे, सब्जी, रेडी वाले, पानी वाले नारियल वालों के [पास ग्राहक वैसी ही आरहे हैं, मार्केटों के बाहर सर्विस लेंन के किनारे, ढाबा, टेलर, नाईं, जुटे गांठनेवाले, अपनी आजीविका चला रहे हैं, उन पर ५००-१००० नोटबंदी का कोई असर नहीं पड़ा है, बल्कि वे अब और खुश नजर आ रहे हैं की ‘कालाधन बाहर आएगा, घोटालेवाजों, रिश्वत खोरों पर प्रतिबंध लगेगा, हमारे दिन फिरेंगे’ ! इन नेताओं को अब गरीबों की याद आरही है, कल जब वे खुद सता पर बैठे थे, तब तो उन्हें न मजदूरों-गरीबों, किसानों और सैनिकों-भूतपूर्व सैनिकों और उनकी मांग, ‘वन रैंक वन पेंशन’ की याद रही, मोदीजी ने कालेकारनामों को मिटाने के लिए, चुनाव जीता और देश के प्रधान मंत्री बने, अरब पति करोड़ पतियों और सारे विपक्ष एक जूट होकर मोदीजी के पीछे हाथ धोकर पड़ गए ! लेकिन हाथी देश हित, देश के विकास के लिए मस्त चाल से अपनी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाता हुआ चला जा रहा है, रास्तों के कांटें कंकण पत्थर और रोड़े हटाता हुआ ! उन्होंने कांग्रेस द्वारा दबी हुई धूल धूसरित फाइल बाहर निकालकर भूतपूर्व सैनिकों की बर्षों पुरानी मांग को सार्थक किया और आज सभी अवकाश प्राप्त सैनिक ‘वन रैंक वन पेंशन’ का लाभ ले रहे हैं और मोदीजी को आशीर्वाद दे रहे हैं !
जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे हैं, विपक्ष और कालाधन पतियों के दिल की धड़कने भी बढ़ने लगी हैं ! उनमें ही फूट पड़ गयी है, जेडीयू के सरद यादव जहां नोटबंदी के विरोध में खड़े हैं वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीशकुमार और लालूजी मोदीजी के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं ! अब तो मायावती ने भी कह दिया है की ‘मैं भी इस कदम का समर्थन करती हूँ’ ! ममता बनर्जी की प्लांनिंग थी की ‘दिल्ली जाकर केजरीवाल के सहयोग से सारे विपक्षी नेताओं को इकट्ठा करके अच्छी खासी भीड़ जमा होजाएगी और भारतबंध सफल होजाएगा’ ! लेकिन आख़री घड़ी तक भी ममताजी के खेमें में कोइ नहीं आया, तो उन्होंने कलकत्ता में ही भारतबंध का झंडा गाड़ा, लेकिन जनता ने सहयोग वहां भी नहीं दिया, अगले दिन वह लखनऊ आई, यूपी के मुख्यमंत्री अखलेश यादव का समर्थन लेने, लेकिन यहां भी उसे मायूस होकर लौटना पड़ा ! ‘महागठबंधन का घड़ा चौराहे में जाकर फूट गया !
ममताजी को लखनऊ से कलकता जाते हुए कहना पड़ा _
“बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले,
जैसे आए वैसे गए, न हम हारे न दम निकले ”

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