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२६ जनवरी २०१७ – वीरवार – गणतंत्र दिवस पर

jagate raho
jagate raho
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सबसे पहले गणतंत्र की सबको है बधाई,
बड़ी मुद्दतों बाद ऐसी सुखद सुबह है आई,
ऐसी सुखद सुबह है आई, कुदरत भी मुस्कराई,
अड़सठवां गणतंत्र दिवस देश ने स्वेत धन से मनाई !
कहे रावत कविराय सज्जन तिरंगा उठा रहे हैं,
काले चोर काल कोठरी काली बिल्ली सजा रहे हैं !! 1

आओ पहले गणपति को करेंगे हम याद,
चक्षु बंद, अधरों से करें फिर फ़रियाद,
करें फिर फ़रियाद, काले धनपति चोर,
मोदी जी ने पकड़ लिए, गली गली में शोर !
कहे रावत कविराय नॉट बंदी ने असर दिखाया,
बड़े बड़े धनपतियों का कालाधन बाहर आया ! 2

नोटबंधी का जिसने भी किया था विरोध,
आम जनता का उन पर फूट पड़ा था क्रोध,
फूट पड़ा था क्रोध, काले बकरे नजर आए,
घूसखोर रिश्वत खोर,कोई बच ना पाए !
कहे रावत कविराय कांग्रेसी रिश्ते तोड़ रहे हैं,
पतंग की डोर अब वे अखलेश से जोड़ रहे हैं ! 3

एक भूत पूर्व सैनिक ने लिखी अपनी विल,
भारतीय सर्विंग सैनिक को लग जाए मेरा दिल,
लग जाए मेरा दिल, जब मैं स्वर्ग सिधारूं,
दुश्मन देश द्रोहियों को फिर चुन चुन कर मैं मारूं !
कहे रावत कविराय सैनिकों का करो सदा सम्मान,
सच्चे सपूत हैं देश के और दिल धड़कती पहचान !! 4

अब ज़रा ध्यान लगाओ, मन को विजयचौक पहुँचाओ,
भारत देश हम भारती हैं, तिरंगा सभी उठाओ !
भिन भिन रेजिमेंटों की देखो परेड संग सलामी,
अलग अलग हैं पगड़ी टोपी और अलग ही शेरवानी !
मिशायलें, टैंक, फाइटर और तोंपे गरजन करती,
सुन सुन पडोसी दुश्मन की डर से जान निकलती !
परंपराएं सांस्कृतिक झांकियां प्रांत प्रांत के लोग,
रंग विरंगी पोशाकें पहने, करते कुस्ती कबड्डी योग !
यही मेरे भारत की पहचान विभिंताओं में एकता है,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई लेकिन सब एक ही लगता है ! 5
जय हिन्द जय भारत ! हरेन्द्र

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