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चले थे लकड़बग्घे शेर से टकराने,
पर सिर फुड़वा के आए,
हारे सो हारे जमानत भी न बचा पाए !
घोटालों पे घोटाला माल खूब उड़ाया था,
कब्जियत शुगर ने पेट में हलचल मचाया था !
मुफ़्ख़ोर ये अगले की मेहनत पर नजर जमाता था,
काले धंदे में पड़कर तोंद रोज बढ़ाता था !
हिस्सेदारी में साईकिल ने हाथ से नाता जोड़ा,
हाथी ने भी कमल तोड़ने अपनी सूंड को मोड़ा !
कमल बचाने आए सारे भारत के नर नारी,
साईकिल, हाथ और हाथी पर कमल पड़ा भारी !
३२५ कमल फूल,हाथ- साईकिल ५४ पे अटकी,
हाथी मेरे साथी को जनता ने दी जोर की पटकी !
ये समाचार है यूपी का अब उत्तराखड पधारो,
बड़े मजे का किस्सा है, दिल अपना संभालो,
यहां हाथ बना था थप्पड़, रोज गाल पे पड़ता था,
बाग़ बगीचे कमल फूल से रोज रोज झगड़ता था,
रोज रोज की झक झक से कमल गुस्से में आया,
हाथ को ७० से लुढ़काकर ग्यारह अंक पर लाया !
स्वयं कमल ने अपने बाग़ में सत्तावन पुष्प खिलाए,
हाथ नचाने वाला अपनी जमानत बचा न पाया !
हरेन्द्र – जय जनार्दन
धर्म निरपेक्ष अधर्मी बने
ग्यारह मार्च दो हजार सत्रह, दिन था शनिवार,
धर्म निरपेक्ष पार्टियों पर, पडी जनता की मार !
पडी जनता की मार, सारा धर्निर्पेक्ष घब राया,
जैसे ही पांच स्टेटों का चुनाव रिजल्ट टीवी पर आया !
भाई भतीजा परिवारवाद, हार की खुजली मिटा रहे हैं,
थप्पड़, साईकिल पानी में, बेचारे हाथी को लिटा रहे हैं !!
धर्मनिरपेक्ष वालों ने टाइट किया फुटबॉल,
किक मारी जोर से हो न सका पर गोल,
हो न सका पर गोल, कमल खिल खिलखिलाया,
मतदाताओं ने कमल पर ही अपनी मोहर लगाया,
सारे विपक्ष, धर्मनिरपेक्षी हार के आंसू पी रहे हैं,
खिसक रहा है जनाधार, सिसक सिसक के जी रहे हैं !
होली बनी रंगीन
मोदीजी की जीत से होली बनी रंगीन,
रंग विरंगे रंगों ने बनाया अति हसीन !
बनाया अति हसीन, आप भी हुआ निराश,
पंजाब में झाड़ू लगाया, झाड़ू मिली न घास,
कहे केजरीवाल अब हम झाडू नहीं लगाएंगे,
दिल्ली के हर नाले से सारे मच्छर भगाएंगे !!
दिल्ली तो ले लिया अब है पंजाब की बारी,
धीरे धीरे भारत की ये भूमि होगी हमारी,
ये भूमि होगी हमारी, गोवा में खाता खुलवाओ,
अगली बार हर प्रदेश की कुर्सी पे अड्डा जमाओ !
गोवा में जीरो आपका, पंजाब भी हाथ न आया,
चुनाव रिजल्ट देख आप का सर जोर से चकराया !
अभी तक पड़ा धरा पर होश में नहीं आया,
केजरीवाल के चिल्लाने से आप ने कुछ नहीं पाया ! भारत माता की जय
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