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ये सत्य है,
हर अमावस बाद पूर्णमाशी आती है,
तभी चाँद चांदनी बनके उभर आती है,
हर अन्धेरा उजाले में बदलता है,
राहु-केतु भी सूर्य चंद्र से हट जाता है,
परेशानी तब होती है जब इंसान
मुसीबतों के पुलिंदों को दिमाग में
स्थायी बिठा लेता है !
आओ इस पर विचार करते हैं,
सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते हैं,
रस्सी कुंवे के पत्थर पर घाव कर देती है,
जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर भी
जोर आजमाइस करती है,
टूटते टूटते भी पत्थर को शबक सिखा जाती है,
“मैं” कमजोर सही पर एकता का बल है, यहीं से ऊर्जा आती है !
“निर्बल को न सताइए जाकी मोटी हाय,
मुई खाल की सांस सों सार भस्म हो जाय”!! (कबीरदास)
आओ इसी लक्ष्य को लेकर पाकिस्तान को उसकी जगह दिखाएं ,
कायरों की तरह निशस्त्र पर वार करता है,
उसकी काली करतूत दुनिया के सामने लांय !
उमर फयाज, कमीशन लेकर अपने गाँव आया था,
पाकिस्तान नपुंसकों ने निहत्थे की ह्त्या की,
पाक के सरगनाओं, आने वाले भंयकर भूकंप का इन्तजार कर,
जो पाप किया उसका खामियाजा भर,
फिर मत कहना हमें खबर नहीं !
ये मृत्युलोक है दो सर काटोगे तुम्हारी बस्ती ही उजड़ जाएगी,
शिव का तीसरा नेत्र खुलते ही, पाकिस्तान में प्रलय आएगी ! हरेंद्र
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