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राजपुताना राइफल्स के वीरों की कहानी

jagate raho
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ओउम श्री गणेशायनम:
राम राम – जय माता दी की

५ नवम्बर २०१७ रविवार – भिवानी
जय जवान जय किसान – लाल बहादुर शास्त्री
छोटों को आशीष, बड़ों को प्रणाम,
हरेंद्र रावत है इस बन्दे का नाम !
इस बन्दे का नाम, इन्फैंट्री सैनिक था कल तक,
६० साल पहले, राज रिफ में, ले आया था लक !
आज भी, ‘राजपुताना राइफल्स’ के गुण गाता हूँ,
वीर शहीदों के नाम पर, अपना शीश नवाता हूँ ! १ !

हम राज रिफ के वीर जवान,
हमसे मत टकराना,
चीन पाकिस्तान वालों ने भी,
राज रिफ का लोहा माना !
४८,६२,६५, ७१ और कारगिल वार,
पाकिस्तान को शिकस्त दी हमने बारम्बार !
परम वीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र भी पाए,
पर बहुत से रत्न हमारे, घर वापिस नहीं आए !
आज उन्हीं की याद में हमने यह प्रोग्राम बनाया,
शहीदों को देंगे श्रद्धांजलि ध्वज ने भी शीश नवाया !

दीवाल पर लटके कलेण्डर में सं १९७१ आया,
पाकिस्तानी हुक्मरानों के ब्रेन ने झटका खाया,
रहीमयार खान से एलओसी तक उसने टैंक बढ़ाए,
दुश्मन पाकिस्तान ने फिर से बब्बर शेर जगाए,
हलचल हुई लोंगेवाल में, टैंक उनके सारे तोड़े,
सैकड़ों सैनिक उनके मारे, कहियों के सर फोड़े !
फील्ड मार्शल साम मानिकशॉ थे आर्मी चीफ,
हर सेक्टर में जलाए उनहोंने विजय के दीप !

पूर्वी पाकिस्तान, आज बंगलादेश में हुआ कत्लेआम,
पाकिस्तानी सेना ने किया वहां दैशतगर्दी का काम,
बंग बंधू शेख मुजिबुर रेहमान को किया जेल में बंद,
थे बंग बंधू के घर में छुपे हुए बहुत सारे जयचंद !
बँगला देश को आजाद कराने, भारत ने भेजी फ़ौज,
मुक्तिवाहिनी बनकर सैनिक, वहां रक्त गिराते रोज !
राज रिफ ने भी भेजी दो बटालियन तेरह और सात,
इन्होने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए करकर दो दो हाथ !

ये है, १३ राज रिफ के वीरों की अमर कहानी,
देश के खातिर लुटा दी, जिन्होंने अपनी भरी जवानी,
ये किस्सा सन ७१ का, स्थान था बँगला देश,
पाक से आजाद कराने, तेलिखाली में किया प्रवेश !
सैनिक आगे बढ़ रहे थे, थी २/३ नवम्बर की रात,
पाकिस्तानी बंकर के अंदर, लगाए हुए थे घात,
बंकर से गोलियां आयी, हमारे जवान थे तैयार,
गोली का जबाब गोली से मारे दुश्मन चार,
सूबेदार स्वरूप ने रॉकेट लांचर का गोला मारा,
आप तो खुद शहीद हुए पर बंकर तोड़ा सारा !
बाईस जवानों ने दुश्मन मारे ली स्वर्ग की राह,
विजयी बनकर शहीद हुए वे रही न कोई चाह !
इतिहास में अमर होगये, जैसे भगत सिंह सुभाष
याद रहोगे सदा दिलों में, हर दिन सप्ताह और मास !

बाईस थे वे राज रिफ के रत्न जो लौट के घर न आए,
कर्तब्य निभाया स्वर्ग गए, इतिहास में नाम लिखा के !
राज रिफ का मान बढ़ाया,देके अपनी जवानी,
इन शहीदों का त्याग अब बनगई अमर कहानी !
बाकि बचे जवानों ने फिर अपना जौहर दिखलाया,
एक गोली एक दुश्मन, दुश्मन फिर घबराया !
एम्युनिशन खत्म हुआ, दुश्मन की गोली चलती थी,
बड़ी नाजुक घडी थी, मौत सामने खड़ी थी,
चेहरे पर चिंता नहीं, पोस्ट कैप्चर करने की पड़ी थी !
सूज बूज और धैर्य देखकर मौत भी आके चली गयी,
दुश्मन को रोका, पलाटून बची, चेहरे पर कोई शिकन नहीं !
अल्फा कम्पनी आई, आक्रमण किया, पोस्ट पर कब्जा जमाया,
मेजर टोखराम सांगवान की कमांड में विजयी ध्वज लहराया !
ऊपर के 32 शहीदों में ६ अल्फा कम्पनी के थे स्टार,
टूट पड़े थे दुश्मनों पर गए स्वर्ग दस दस को मार !
जो शहीद हुए रणभूमि में, उन्होंने धरती का कर्ज चुकाया,
जो ज़िंदा लौट के आये उन्होंने, ये किस्सा हमें सुनाया !
मेरा सैलूट है उन वीरों को, सर फरोश रणधीरों को,
दुश्मन को जौहर दिखलाने वाले, मानव रूपी शेरों को !
आओ हम सब मिलकर उनको शीश नवाते हैं,
अमर कथा शहीदों की, नयी पीढ़ी तक पहुंचाते है !

“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर वरष मेले,
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशान होगा” !

सर फोड़ने की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना मजबूत कितना, खोपड़ी कातिल में है !!

जय हिन्द ! जय भारत हरेंद्र रावत

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