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ये दुनिया है बेरंगी या है रंगरंगीली ?

jagate raho
jagate raho
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आज तक समझ न पाया,
ये दुनिया कैसी है ?
कुछ कहते हैं रंग रंगीली,
कुछ बेरंगी बतलाते हैं !
कुछ भागदौड़ में लींन हैं इतने,
कुछ बता न पाते हैं !
कुछ भाग दौड़ कर, पथ भ्रष्ट हुए,
कुछ लाईन तोड़ गए काशी,
कुछ दाड़ी मूछ बढ़ाके अपनी,
बन बैठे सन्यासी !
कुछ हरिद्वार गंगातट पर,
भीख मंगे भिखारी हैं,
कुछ चोर उच्चके बदमाश,
कुछ सज्जन व्यापारी हैं !
कुछ पूरा करने शौक,
जेब कतरे बन जाते हैं,
कुछ शौक अपना पूरा करने,
डूबते हुवों को बचाते हैं !
कुदरत की ये चित्र कला,
कहीं लाल गुलाबी पीली है,
समझ न पाया हूँ दुनिया को,
ये बेरंगी या रंग रंगीली है ? harendr

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